पटना: बीते 29 अगस्त को बिहार सरकार (Bihar Government) ने खेल दिवस (Sports Day) का आयोजन किया था. खेल और खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए तमाम बड़े-बड़े दावे किए, मगर हकीकत में यह सिर्फ बयानबाजी तक ही सीमित है. सरकार के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं.
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खेल को लेकर सरकार कितनी गंभीर है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बिहार में अंतरराष्ट्रीय स्तर की महिला हैंडबॉल प्लेयर खुशबू कुमारी सरकारी उपेक्षा की शिकार हैं. खुशबू ने अब तक 33 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में 16 मेडल प्राप्त किए हैं, जिसमें 12 नेशनल और 4 इंटरनेशनल मेडल हैं. खुशबू कुमारी ने चार इंटरनेशनल गेम्स में पार्टिसिपेट किया है और दो गोल्ड मेडल, एक सिल्वर व एक ब्रांज मेडल हासिल किया है.
खुशबू ने कहा, 'हैंडबॉल एक इंडोर गेम है. इसकी प्रैक्टिस के लिए बिहार में कोई व्यवस्था नहीं है. मैंने अपनी बदौलत ओपन ग्राउंड प्रैक्टिस की. ओलंपिक और इंटरनेशनल लेवल पर हैंडबॉल के लिए जो गेंद उपयोग में आता है उसे बिहार सरकार की तरफ से उपलब्ध नहीं कराया जाता ना ही बिहार में यह मिलता है. ऐसे में दूसरे गेंद से प्रैक्टिस करनी पड़ती है. इसका असर अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में पड़ता है.'
खुशबू कुमारी ने कहा, 'हैंडबॉल के लिए बिहार में कोई टीम नहीं है. बिहार सरकार की गाइडलाइन है कि अगर कोई खिलाड़ी एक अंतरराष्ट्रीय मेडल आता है तो उसे एसआई का जॉब स्वतः मिल जाता है. इसके लिए उन्हें अप्लाई नहीं करना पड़ता. मैंने 4 अंतरराष्ट्रीय मेडल लाए हैं. इसके बाद भी सरकार की तरफ से एसआई का पद नहीं मिला. इसके लिए मैंने कई बार मुख्यमंत्री और डीजीपी के अलावा तमाम बड़े अधिकारियों को पत्र लिखा, लेकिन कहीं से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला.'
"वर्तमान में मैंने अपनी मेहनत के बदौलत कांस्टेबल का पद पाया है. भारतीय टीम में मेरी सभी साथी खिलाड़ी अपने राज्यों में एसआई और तमाम बड़े पदों पर हैं. स्पोर्ट्स कोटे से जगह नहीं दिए जाने की वजह से मैं हताश हूं. हैंडबॉल के लिए प्रैक्टिस का समय भी नहीं मिल पाता. मेरा सपना है कि भारत की तरफ से ओलंपिक में हैंडबॉल गेम्स को लेकर प्रतिनिधित्व करूं, लेकिन सरकार की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल रहा. इसके कारण डिप्रेशन में हूं."- खुशबू कुमारी, हैंडबॉल प्लेयर
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