पटना:जिस गंगा किनारे हजारों लोग कभी हर सुबह स्नान करने आते थे आज उसी गंगा किनारे दो मिनट खड़ा रहना भी मुश्किल है. बिहार में गंगा नदी में सीवरेज का गंदा पानी (Sewage Water in Ganga) जाने से रोकने के लिए कई योजनाओं पर काम हो रहा है, लेकिन इसकी गति काफी धीमी है. गंगा किनारे ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर स्वच्छ करने के सारे वादे अब तक सिर्फ कागजों पर नजर आते हैं. आज पीएम मोदी और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एक साथ मंच पर होंगे. ऐसे में क्या कुछ बात निकलकर सामने आती है इसपर सबकी निगाह टिकी रहेगी.
ये भी पढ़ें - वैशाली: पुरानी गंडक घाट के पास गंदगी का अंबार, नमामी गंगे की लिस्ट में है शामिल
बिहार में 'नमामि गंगे' का हाल: बिहार राज्य प्रदूषण पर्षद के सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, पटना में 23, भागलपुर में छह, बक्सर में पांच, कहलगांव में चार, मुंगेर में एक, सुल्तानगंज में एक, सोनपुर में एक और छपरा में एक स्थान पर सीधे गंदा पानी गंगा नदी में गिरता है. उसी गंगा में सुबह शाम लोग स्नान करने आते थे. लोगों का कहना है कि अगर सरकार ने गंगा की साफ-सफाई पर करोड़ों खर्च किए हैं तो दिखता क्यों नहीं? सालों से गंगा की हालत जस की तस है.
क्या है CAG रिपोर्ट में? : सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में राशि बैंक में रहने के बावजूद खर्च नहीं किए जाने का खुलासा किया है. जिस वजह से सीवरेज का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका और गंगा में आज भी गंदा पानी बह रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, चार वित्त वर्ष में इस योजना के तहत 683 करोड़ 10 लाख रुपए को बिहार राज्य गंगा नदी संरक्षण और कार्यक्रम प्रबंधन सोसायटी (बीजीसीएमएस) द्वारा इस्तेमाल किया जाना था, जो नहीं किया गया.
रिपोर्ट के अनुसार लेखा परीक्षा में पाया गया कि 2016-17 से 2019-20 की अवधि के दौरान प्रत्येक वर्ष केवल 16 से 50 प्रतिशत धन का उपयोग किया जा रहा था. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा कि पटना में सीवरेज का पानी गंगा में जाने से रोकने के लिए राशि बैंकों में रह गई लेकिन खर्च नहीं हो पाया और इसके कारण योजना पूरी नहीं हो सकी.