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मध्याह्न भोजन योजना की रैंकिंग मे पटना 25वें पायदान पर, प्रगति रिपोर्ट से सरकार नाराज

शिक्षा विभाग के अधीन संचालित मध्यान्ह भोजन योजना को लेकर निदेशालय की ओर से जारी रैंकिंग में खगड़िया जिला को सबसे फिसड्डी बताया गया है. इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर भी राज्य सरकार को फटकार लगाई है.

मध्यान भोजन योजना

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Published : Jun 11, 2019, 3:23 PM IST

पटनाः राज्य के स्कूलो में संचालित मिड डे मील योजना के संचालन की प्रगति रिपोर्ट से सरकार नाराज है. शिक्षा विभाग ने विभिन्न जिलों में मिड डे मील योजना की रैंकिंग करवायी थी. जिसमें वैशाली प्रथम स्थान पर है. जबकी पटना 25 वें पायदान पर है.

शिक्षा विभाग के अधीन संचालित मध्यान्ह भोजन योजना को लेकर निदेशालय की ओर से जारी रैंकिंग में खगड़िया जिला को सबसे फिसड्डी बताया गया है. इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर भी राज्य सरकार को फटकार लगाई है. केंद्र सरकार ने पत्र के जरिए सरकार से जानकारी मांगी है कि जब स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना लागू है तब बच्चों की सेहत दुरुस्त क्यों नहीं है.

निदेशालय ने लगायी फटकार
बता दें कि निदेशालय ने मध्यान्ह भोजन योजना को लेकर सभी 38 जिलों में प्रदर्शन के आधार पर उनकी रैंकिंग करवाई है. जिन जिलों में रैंकिंग बहुत नीचे हैं उन्हें मध्यान भोजन योजना के निदेशक ने पूरी प्रक्रिया में सुधार लाने के कड़े निर्देश दिये हैं. वहीं कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है.

मध्यान भोजन योजना की रैंकिंग मे पटना पिछे

क्या क्या थी कैटेगरी
मध्यान्ह भोजन योजना की रैंकिंग तय करने के लिए कुल 10 कैटेगरी बनाई गई है. जिसमें मुख्य रूप से मध्यान भोजन योजना की आपूर्ति करने वाले प्रारंभिक विद्यालयों का प्रदर्शन,लाभकारी बच्चों की कुल संख्या, मध्यान भोजन देने के दिनों की कुल संख्या, विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन योजना की जांच, रसोई घरों की व्यवस्था, रसोईया और उनके सहायकों का मानदेय का भुगतान और निगरानी समिति की बैठक को रखा गया था.

हर कैटेगरी के थे 10 अंक
हर कैटेगरी के लिए 10 अंक तय किए गए हैं. इस तरह कुल 100 अंकों के आधार पर हर जिले में मध्यान भोजन योजना के क्रियान्वयन के आधार पर अंक दिए गए हैं. रैंकिंग में 27 जिलों का प्रदर्शन औसत से बेहतर पाया गया है. वहीं इस मामले में मध्यान्ह भोजन योजना के निदेशक विनोद कुमार सिंह ने बताया कि जिलों की रैंकिंग जारी करने से प्रत्येक जिलों में मध्यान्ह भोजन योजना की प्रगति की जानकारी मिलती है. साथ ही जिलों में इसकी प्रगति को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ती है. इससे बच्चों में ज्यादा लाभ मिलता है.

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