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राष्ट्रीय खेल दिवस विशेष: 'बिहार में खेल है उपेक्षा का शिकार, सरकार का खिलाड़ियों पर नहीं है ध्यान' - bihar latest news

बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि राज्य में खल और खिलाड़ियों की स्थिति बहुत खराब है. राज्य सरकार का मुख्यमंत्री खेल विकास योजना है. वह राज्य में कहीं भी धरातल पर नजर नहीं आता है. सरकार ने जो खेल विधेयक लाकर खेल नीति बनाया वह कहीं नजर नहीं आता. राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर का इकलौता स्टेडियम मोइनुल हक स्टेडियम है और यह अभी के समय में जर्जर और बदहाल हालत में है.

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Published : Aug 29, 2020, 11:03 PM IST

पटना: शनिवार के दिन देशभर में खेल दिवस मनाया जा रहा है. खेल दिवस हर साल 29 सितंबर के दिन हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस के मौके पर मनाया जाता है. इस बार राज्य सरकार की तरफ से कोरोना संक्रमण के कारण खेल दिवस पर बड़ा आयोजन नहीं हो रहा है. ईटीवी भारत संवाददाता ने खिलाड़ियों से बात की.

सॉफ्टबॉल के खिलाड़ी विपिन कुमार ने बताया कि सरकार का खेल और खिलाड़ियों के प्रति बिल्कुल भी ध्यान नहीं है. राज्य में एक भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम नहीं है और जो भी स्टेडियम है उसके भी हालत बहुत खराब है. उन्होंने कहा कि साल 2014 की अधिसूचना पर साल 2015 में 258 पदों पर खिलाड़ियों के लिए वैकेंसी निकली थी. लेकिन अब तक एक भी पद नहीं भरा गया और खिलाड़ियों को अभी तक नौकरी नहीं मिला है.

मृत्युंजय तिवारी, अध्यक्ष बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन

'संक्रमण काल में खिलाड़ियों की हालत खराब'
मार्शल आर्ट के खिलाड़ी ओमप्रकाश ने कहां की कोरोना काल में खिलाड़ियों की हालत पहले से और खराब हो गई है और इस संक्रमण काल में सरकार की तरफ से खिलाड़ियों को किसी प्रकार का कोई आर्थिक सहायता नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं खिलाड़ियों के प्रैक्टिस के लिए राज्य में अच्छे मैदानों की भारी कमी है.

'खिलाड़ी को सम्मानित नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण'
अंतरराष्ट्रीय स्तर के दिव्यांग खिलाड़ी संतोष कुमार मिश्रा ने कहा कि मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन के मौके पर खेल दिवस मनाया जाता है और इस मौके पर विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित कर उनका मनोबल बढ़ाया जाता है. उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण सरकार इस बार यह सम्मान समारोह नहीं करा रही है. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी भी खिलाड़ी को सम्मानित नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री से निवेदन करना चाहते हैं कि बिहार के जितने भी होनहार व प्रतिभावान खिलाड़ी हैं उनको सम्मानित करें, उनको नौकरी दें और उनको एक उचित पहचान दें.

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क्या कहते हैं मृत्युंजय तिवारी
बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि राज्य में खल और खिलाड़ियों की स्थिति बहुत खराब है. राज्य सरकार का मुख्यमंत्री खेल विकास योजना है. वहीं, राज्य में कहीं भी धरातल पर नजर नहीं आता है. सरकार ने जो खेल विधेयक लाकर खेल नीति बनाया वह कहीं नजर नहीं आता. राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर का इकलौता स्टेडियम मोइनुल हक स्टेडियम है और यह अभी के समय में जर्जर और बदहाल हालत में है. उन्होंने कहा कि राज्य में खेल के मैदानों की भारी कमी है और सरकार ने फिजिकल कॉलेज में हॉकी के लिए टर्फ बनाने का घोषणा किया था.

देखें रिपोर्ट

मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि खेल दिवस के मौके पर सरकार को जो खिलाड़ियों को सम्मान देना चाहिए था. वह भी सरकार नहीं दे पाई यह दुर्भाग्यपूर्ण है. खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि उनका मनोबल ऊंचा रहे. उन्होंने सरकार से मांग किया कि खिलाड़ियों के प्रशिक्षण का पर्याप्त व्यवस्था हो और खेल मित्रों की बहाली हो. विश्वविद्यालयों और विद्यालयों में खेलकूद की स्पेशल घंटी होनी चाहिए ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके.

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