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MLC नहीं बनाए जाने पर पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडे बोले- जल्दी लेंगे कोई बड़ा फैसला

बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे जो कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गुड फेथ में रहने वालों में से एक थे, उनका मनोनयन एमएलसी के लिए नहीं हुआ. इस पर उन्होंने कहा कि वो इन सभी मसलों को देख रहे हैं, जल्दी कोई बड़ा निर्णय लेंगे.

पटना
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Published : Mar 17, 2021, 9:35 PM IST

पटना:बिहार के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि बिहार के तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने अपने कार्यकाल के 6 महीने पूर्व ही वीआरएस ले लिया था. जिसे बिहार के राज्यपाल ने स्वीकार किया था. 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडे ने 21 जनवरी 2019 को बिहार के डीजीपी का पद संभाला था.

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वीआरएस लेने के बाद ये उम्मीद लगाई जा रही थी कि उन्हें बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. चुनाव के बाद ये उम्मीद जताई जा रही थी कि पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे जो कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गुड फेथ में रहने वालों में से एक थे, उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कराया जाएगा लेकिन फिर ऐसा नहीं हुआ.

एमएलसी के लिए नहीं हुआ मनोनयन
बिहार के पूर्व डीजीपी को इस बार आशा थी कि राज्यपाल कोटे से 12 एमएलसी के मनोनयन में उन्हें जरूर जगह दी जाएगी. परंतु फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें गच्चा दे दिया. बता दें कि राजनीतिक गलियारों से लेकर मीडिया घराने तक इस बात की लगातार चर्चा जोरों से हो रही थी कि राज्यपाल कोटे से एमएलसी बनने वाले नेताओं में इनका नाम जरूर शामिल होगा. पूर्व डीजीपी नेता बनने की चाहत में रिटायरमेंट के 6 महीने पहले ही नौकरी से भी हाथ धो बैठे.

पूर्व डीजीपी का छलका दर्द
बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने ईटीवी भारत से कहा कि वह भी इन सभी मसलों को देख रहे हैं, जल्दी कोई बड़ा निर्णय लेंगे. पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने 27 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर नीतीश कुमार की मौजूदगू में जदयू की सदस्यता ग्रहण की थी, जिसके बाद ये उम्मीद लगाई जा रही थी कि बिहार विधानसभा चुनाव में वो बक्सर से चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

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बतौर आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय ने 33 साल की सर्विस पूरी की है. एसपी से लेकर डीआईजी, आईजी और एडीजी बनने तक के सफर में गुप्तेश्वर पांडे प्रदेश के 26 जिलों में काम कर चुके थे. 1993-94 बेगूसराय और 1995-96 में जहानाबाद के एसपी रह चुके हैं. हालांकि, इन दोनों जिलों में अपने कार्यकाल के दौरान अपराधियों का खात्मा कर दिया था. वही, इन्हें कम्युनिटी पुलिस के लिए भी जाना जाता था.

डीजीपी रहते हुए गुप्तेश्वर पांडे सुशांत सिंह राजपूत रहस्यमई मौत मामले में काफी चर्चित हुए थे. उन्होंने पटना में एफआईआर करवाने के बाद अपनी टीम को जांच करने के लिए मुंबई भेजा था. पटना पुलिस के साथ मुंबई पुलिस के व्यवहार को लेकर उन्होंने काफी सुर्खियां भी बटोरी थी.

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