पटना:बिहार के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि बिहार के तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने अपने कार्यकाल के 6 महीने पूर्व ही वीआरएस ले लिया था. जिसे बिहार के राज्यपाल ने स्वीकार किया था. 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडे ने 21 जनवरी 2019 को बिहार के डीजीपी का पद संभाला था.
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वीआरएस लेने के बाद ये उम्मीद लगाई जा रही थी कि उन्हें बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. चुनाव के बाद ये उम्मीद जताई जा रही थी कि पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे जो कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गुड फेथ में रहने वालों में से एक थे, उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कराया जाएगा लेकिन फिर ऐसा नहीं हुआ.
एमएलसी के लिए नहीं हुआ मनोनयन
बिहार के पूर्व डीजीपी को इस बार आशा थी कि राज्यपाल कोटे से 12 एमएलसी के मनोनयन में उन्हें जरूर जगह दी जाएगी. परंतु फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें गच्चा दे दिया. बता दें कि राजनीतिक गलियारों से लेकर मीडिया घराने तक इस बात की लगातार चर्चा जोरों से हो रही थी कि राज्यपाल कोटे से एमएलसी बनने वाले नेताओं में इनका नाम जरूर शामिल होगा. पूर्व डीजीपी नेता बनने की चाहत में रिटायरमेंट के 6 महीने पहले ही नौकरी से भी हाथ धो बैठे.