पटना: हौसले अगर बुलंद हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. इस बात को संभव कर दिखाया है बिहटा के विष्णुपुरा निवासी पप्पू सिंह ने. उन्होंने 15 एकड़ में फूलों की खेती कर न केवल प्रकृति के खूबसूरती को दिखाया बल्कि सैकड़ों युवाओं को प्रशिक्षण भी दिया है. साथ ही साथ 25 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दिया है.
दरअसल, पप्पू सिंह को शुरू से ही फूलों में दिलचस्पी थी. इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ 25 हजार की लागत से फूलों की खेती शुरू की. 15 एकड़ में फैला यह फूलों का बागान लोगों के लिए प्रदर्शन का केंद्र बना हुआ है. यही नहीं इस नर्सरी के माध्यम से एक से बढ़कर एक देशी और विदेशी फूलों का व्यवसाय हो रहा है.
करोड़ों का है टर्नओवर
पप्पू सिंह के अनुसार 25 हजार से शुरू किया गया उनका यह व्यवसाय आज करोड़ों के टर्नओवर में बदल गया है. इस व्यवसाय से उन्हें हर साल दो से ढाई लाख की आमदनी हो जाती है.
मदर नेचर नर्सरी विदेशों में भी है फेमस
उन्हें 2007 में सोनपुर मेला में किसान उद्यान पंडित की उपाधि से नवाजा गया है. इसके अलावा कई कृषि विशेषज्ञों और कृषि महाविद्यालयों द्वारा उन्हें प्रशिक्षित पत्र भी दिया गया. पप्पू ने बताया कि उनकी मदर नेचर नर्सरी का नाम देश के साथ विदेशों में भी काफी फैला है. अमेरिका और मलेशिया सहित कई देशों के कृषि विशेषज्ञ उनकी नर्सरी पर आ चुके हैं.
25 से ज्यादा लोगों को मिला रोजगार
अपने इस फूलों के व्यवसाय से पप्पू ने 25 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रखा है. जो पिछले 10 वर्षों से उनके साथ काम कर रहे हैं और फूलों की सेवा कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. इतना ही नहीं पप्पू सिंह ने सैकड़ों युवाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण देने का भी काम किया है.
इन फूलों का है व्यवसाय
फिलहाल, पप्पू सिंह अपने नर्सरी में गुलाब, गेंदा ,साल्विया गजनिया, रजनीगंधा सहित कई तरह के देसी-विदेशी फूलों की खेती और व्यवसाय कर रहे हैं. उनके इस काम को देखते हुए सरकार ने भी उन्हें बागवानी मिशन के तहत सहयोग राशि दी है, जिससे उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ाने में काफी मदद मिली है.
गांव के लोगों को है गर्व
वहीं, पप्पू सिंह के इस कार्य से उनके गांव के लोग काफी गौरवान्वित हैं. उनका कहना है कि 2001 से शुरू किए गए इस कार्य से अब तक गांव में 100 से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षण मिल चुका है. इससे ये युवा आत्मनिर्भर बने हैं, जो काबिलेतारीफ है.