पटना:ऐसे तो चावल के कई प्रकार होते हैं लेकिन, इन दिनों बाजारों में काला नमक चावल की मांग बढ़ती जा रही है. काला नमक चावल स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है, जिसे देखते हुए अब बिहार के किसान भी जोर-शोर से इसकी खेती कर रहे हैं. पटना के मसौढ़ी में काला नमक धान की फसल अब लहलहाने लगी है, जिसकी खुशबू हर ओर फैल रही है. बता दें कि काला नमक चावल, भगवान बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में भी जाना जाता है.
काला नमक चावल नाम रखने का कारण: दरअसल काले रंग की भूसी की वजह से इसका नाम काला नमक चावल पड़ा. इसके महत्व का अंदाजा इसी से लग जाता है कि यह चावल सीधे भगवान बुद्ध से जुड़ा है. काला नमक चावल को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए सरकार ने इसे जीआई टैग दिया है. इसके संवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
भगवान बुद्ध से जुड़ा है चावल का इतिहास: कहते हैं कि बौद्ध गया में ज्ञान प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध शाक्य गणराज कपिलवस्तु लौट रहे थे. वह रास्ते में मौजूद सिद्धार्थनगर जिले के बाड़ा गांव में रूके, अगले रोज जब उन्हें जाना था तो महात्मा बुद्ध ने गांव के कुछ किसानों को अपनी झोली से मुट्ठी भर धान दिया.
ऐसे शुरू हुई चावल की खेती: भगवान बुद्ध ने धान देकर ग्रामीणों से कहा कि इसे खेतों में लगा दो, इसकी खुशबू हमेशा हमारी याद दिलाती रहेगी. उसके बाद से ही काला नमक धान की खेती का सिलसिला शुरू हो गया और काला नमक चावल को बुद्ध का महाप्रसाद का नाम मिला. आज यह काला नमक चावल विभिन्न देशों में सिद्धार्थनगर की मिट्टी की खुशबू बिखेर रहा है.
मसौढ़ी के खेतों में फसल की खुशबू: बहरहाल पटना के ग्रामीण इलाकों में भी यह खुशबू बिखरने लगी है. यहां के किसान आत्मनिर्भर हो रहे हैं. इसको लेकर मसौढी थाना क्षेत्र के महादेवपुर गांव के किसान ने बताया कि 5 बिघे में खेती की शुरुआत की है. इसके अलावा सभी किसानों को इसके प्रति जागरूक कर रहे हैं.