मसौढ़ी: सरकार लगातार किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए जागरूक कर रही है. वहीं, पराली जलाने के लिए सरकार ने सख्त कानून का भी रवैया अपनाया है. प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद भी किसान बेखौफ होकर खेतों में धान की पराली जला रहे हैं. खेतों में पराली जलाने से वायू प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है.
मसौढ़ी में खेतों में पराली जलाने का नहीं रूक रहा दौर पराली जलाने पर होगी कार्रवाई
मसौढ़ी अनुमंडल के मसौढ़ी, धनरूआ और पुनपुन प्रखंडों के कई गांवों में खेतों में पराली जलाई जा रही है. वहीं, कृषि विभाग द्वारा विभिन्न प्रखंडों में एक टीम बनाकर किसान सलाहकार द्वारा जांच की जा रही है. जो भी किसान खेतों में पराली जला रहे हैं उन्हें चिन्हित कर उन पर कार्रवाई की जा रही है.
तीन साल तक योजनाओं से किया जाएगा वंचित
सरकार द्वारा पराली जलाने वाले किसानों को तीन साल तक विभिन्न सरकारी योजनाओं से वंचित करने का आदेश जारी किया है. सरकार द्वारा किसानों को मिलने वाली योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा. जैसे डीजल अनुदान, बीज अनुदान समेत कई तरह के जो अनुदान मिलते हैं, वह 3 साल तक उन किसानों को बंद कर दिया जाएगा.
चलाया जा रहा जागरूकता अभियान
मसौढ़ी में सरकारी रोक के बावजूद भी किसान बाज नहीं आ रहे हैं और लगातार पराली को जला रहे हैं. पराली जलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती है, बल्कि प्रदूषण का भी खतरा बढ़ जाता है. जिसको लेकर सरकार लगातार गांव-गांव में जागरूकता अभियान चला रही हैं लेकिन मसौढ़ी में कृषि विभाग की उदासीनता भी एक कारण है जिस वजह से किसान पराली को लगातार जला रहें हैं.