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'2023 तक भूमि रिकॉर्ड को डिजिटलाइज्ड मैप करने और ऑनलाइन करने का काम होगा पूरा'

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DIPRMP) पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि ''साल 2023 तक भूमि रिकॉर्ड को डिजिटलाइज्ड मैप करने और रिकॉर्ड ऑनलाइन करने का काम पूरा हो जाएगा.''

नई दिल्ली
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Published : Nov 16, 2021, 5:28 PM IST

Updated : Nov 16, 2021, 5:42 PM IST

नई दिल्ली/पटना:केंद्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DIPRMP) पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया और राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली पोर्टल (NGDRS) व डैशबोर्ड लॉन्च किया. उन्होंने बताया कि DIPRMP के विभिन्न घटकों में कुल 6,56,190 गांवों में से 6,00,811 गांवों में भूमि अभिलेखों का कंप्यूटरीकरण पूरा कर लिया गया है.

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उन्होंने कहा कि कुल 1.63 करोड़ राजस्व मानचित्रों/एफएमबी में से 1.11 करोड़ राजस्व मानचित्रों/एफएमबी का डिजिटलीकरण पूरा कर लिया गया है. कुल 5220 उप रजिस्ट्रार कार्यालयों में से 4883 उप रजिस्ट्रार कार्यालयों का कंप्यूटरीकरण कर लिया गया है. कुल 5220 उप रजिस्ट्रार कार्यालयों में से 3975 उप रजिस्ट्रार कार्यालयों का राजस्व कार्यालयों के साथ एकीकरण कर लिया गया है. कुल 6712 तहसीलों/राजस्व कार्यालयों में से 2508 में आधुनिक अभिलेख कक्षों की स्थापना कर दी गई है. कुल 6,56,190 गांवों में से 74,789 गांवों में सर्वेक्षण/पुनर्सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है.

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''DIPRMP और स्वामित्व योजना के तहत छोटे जमीन मालिकों को लाभ हो रहा है. छोटे जमीन मालिकों को आसानी से ऑनलाइन लैंड रिकॉर्ड मिल जा रहा है. आधार कार्ड के तर्ज पर हरेक लैंड होल्डिंग्स के लिये एक यूनिक आईडेंटिटी होगी. इसे कोर्ट व बैंक से जोड़ा जायेगा. भूमि को लेकर कोई विवाद है या नहीं इसकी जानकारी मिल जाएगी. DIPRMP योजना का 'वन नेशन वन रजिस्ट्रेशन' विषय को ध्यान में रखते हुए विस्तार हो रहा है. अब तक इसे 13 राज्यों में कार्यान्वित और अन्य 6 राज्यों में इसका प्रायोगिक परीक्षण किया जा चुका है. करीब 11 करोड़ जनसंख्या को कवर किया जा चुका है.''-गिरिराज सिंह, केंद्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री

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उन्होंने बताया कि इस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर 25 लाख से अधिक दस्तावेजों का रजिस्ट्रीकरण किया गया है. पहले की तरह अब प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिये सरकारी कार्यालयों के ज्यादा चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में 25 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास सिर्फ 25 वर्ग मीटर या उससे छोटे आवास हैं. देश में करीब 94 फीसदी रजिस्ट्री कार्यालय ऑनलाइन हो गए हैं. गिरिराज ने कहा कि साल 2023 तक भूमि रिकॉर्ड को डिजिटलाइज्ड मैप करने और रिकॉर्ड ऑनलाइन करने का काम पूरा हो जाएगा.

NGDRS रजिस्ट्रीकरण प्रणाली के लिए एनआईसी द्वारा विकसित एक स्व-निर्मित उन्नत सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन है. इस सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन को देश में राज्य विशिष्ट अपेक्षाओं के अनुसार मापनीय, परिवर्तनीय और उनके अनुकूल बनाया गया है. यह दस्तावेजों का निष्पादन करने वाले अधिकारियों की पारदर्शिता और जवाबदेही और रजिस्ट्रीकरण दस्तावेजों के निष्पादन में लगने वाली लागत, समय और प्रक्रियाओं व बार-बार दफ्तर जाने की संख्या में कमी को सुनिश्चित करता है.

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स्वामित्व योजना की बात करें तो यह ग्रामीणों को उनके जमीन का मालिकाना हक दिला रही है, जिनका सरकारी आंकड़ों में कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं है. गांव के लोगों की जमीनों का रिकॉर्ड भी तैयार केंद्र सरकार कर रही है. जैसे-जैसे ग्रामीण इलाकों में मैंपिंग और सर्वे का कार्य पूरा होगा, वैसे-वैसे गांवों में रहने वाले लोगों को उनका प्रॉपर्टी कार्ड मिलता जाएगा.

Last Updated : Nov 16, 2021, 5:42 PM IST

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