पटना:कोरोनामहामारी को लेकर बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने ईटीवी भारत के रिजनल न्यूज को-ऑर्डिनेटर सचिन शर्मा ने एक्सक्लूसिव बातचीत की. बातचीत में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने बताया कि बिहार महामारी से लड़ने के लिए तैयार है. सभी जरूरी सुविधाएं स्वास्थ्य विभाग के पास है. कोरोना हो या चमकी बुखार उनका विभाग हर मोर्चे पर आम जनता के साथ जुटा हुआ है.
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ईटीवी भारत का सवाल:अब गांव बन गए हैं कोरोना के एपिसेंटर, न स्वास्थ्य सुविधाएं हैं, ना सिस्टम को सुध है...कैसे संभालेंगे आप हालात ? बिहार सरकार जहां दावा कर रही है कि राज्य में कोरोना के मामले कम हो रहे हैं और पॉज़िटिव लोगों की संख्या में कमी आ रही है. वहीं जमीनी हकीकत इससे अलग है.
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का जवाब: बिहार के बारे में यदि पहले से मनमानस पर यदि तस्वीर बनी हुई है तो उस तस्वीर को दिमाग से थोड़ा बाहर निकालकर वर्तमान परिस्थितियों के आलोक में सभी विषयों पर विचार और चर्चा करने का समय है. बिहार के बारे में जो पुरानी बातें सोची जाती थी वो इतिहास था. वर्तमान की जो स्थिति है, वो स्थिति पूर्व से बहुत इतर है.
- यदि पिछले पूरे 13-14 महीनों के कोरोना के इतिहास को आप देखेंगे, तो देश में सर्वाधिक टेस्टिंग जनसंख्या के अनुपात में अगर कहीं हुई है तो वो बिहार है. बिहार से अधिक टेस्टिंग यूपी में हुई है, यूपी की आबादी बिहार से दोगुनी है. हम आज भी औसतन एक से सवा लाख जांच एक दिन में कर रहे हैं. बिहार की मृत्युदर अभी तक 0.55% है, जबकि पूरे देश की मृत्युदर 1% से अधिक है. करीब दोगुनी के आसपास है. बिहार की रिकवरी रेट पहले फेस से पहले मार्च महीने तक 99.29% थी.
- आज एक बार फिर से आज की तारीख में 89% पर है. ये भी देश के 4-5 राज्यों में से एक है. आज यदि हम वर्तमान की परिस्थिति का आकलन करें तो आपका ये कहना सही है. जहां कुछ गांव और क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर इस बार कैजुअल्टी ज्यादा हुई है. ओवर ऑल कैजुअल्टी पिछले 13 महीनों में लगभग 4 हजार हुआ है. आप देश के आंकड़े से समझ सकते हैं. हमारी ही जैसी आबादी महाराष्ट्र की है, जितनी आबादी हमारी है उससे 25-30 लाख ज्यादा आबादी महाराष्ट्र की होगी.
- उन्होंने कहा कि अचानक बहुत बड़ी संख्या में स्प्रेड हुआ. मरीजों की संख्या भी बढ़ी, कैजुअल्टी भी बहुत हुई. पिछली बार एक दिन में जो मैक्सिमम केस गया था पॉजिटिव केस का वो 3800 था, इस बार वो लगभग साढ़े 15 हजार तक गया. पिछली बार जो मैक्सिमम एक्टिव केस थे, वो 35 हजार थे. इस बार जो मैक्सिमम एक्टिव केस गया वो 28 अप्रैल को एक लाख 15 हजार के आंकड़े को पार कर गया. ग्रामीण क्षेत्र में इस बार कोरोना का असर हुआ है और पूर्व की तुलना में इस बार मरीज की संख्या भी काफी बढ़ी है.
ईटीवी भारत का सवाल: जो सरकारी आंकड़े हैं, उसमें आपने बताया कि बिहार में सिर्फ 4 हजार कैजुअल्टी हुई है. पूरे देश में भी ये आंकड़ा बताया गया है कि लगभग पौने 3 लाख के आसपास आभी तक हम पहुंचे हैं. अभी जब बीच में 4 लाख केस निकल रहे थे, हालांकि वो 4 लाख केस 20 लाख की टेस्टिंग में निकल रहे थे. लेकिन उन 4 लाख केस में 4 हजार रोज की मृत्यु बताई जा रही थी. लेकिन जिस तरह से देश में श्मशान घाटों की जिस तरह की स्थिति थी, जिस तकह से मोर्चरी में स्थिति थी. जिस तरह से लोग पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाए जा रहे थे , उससे साफ नजर आ रहा था कि सरकारी आंकड़ों में हेर फेर है.
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का जवाब: बिहार बहुत ही सेंसिटिव राज्य है, पॉलिटिकली बहुत ही सेंसिटिव है. बिहार के सुदूर किसी भी टोले में अगर कोई घटना घटेगी तो वो छिप नहीं सकती है. बिहार में कोरोना के मरीज जिनकी मृत्यु होती है, उनको 4 लाख का मुआवजा मुख्यमंत्री राहत कोष से हम लोग देते हैं. तो एक भी व्यक्ति की मृत्यु अगर कोरोना से हुई होगी, तो उसके समाचार को छिपाकर, दबाकर कोई रख ही नहीं सकता है.
- पिछले दो महीनों में अचानक काफी केस हुए, लेकिन 20 मार्च तक लगभग 1600 हुए थे, उसमें 1450 लोगों को 4 लाख की राशि भुगतान की जा चुकी है और हमारे यहां एक एक मरीज की पहचान इस तरह से भी हो रही है कि वो मृत हो गए और उनका कोविड टेस्ट रिपोर्ट नहीं आया था, तब तक उनकी अंत्येष्टि नहीं हुई.
ईटीवी भारत का सवाल: ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने की आशंका को देखते हुए कोविड अस्पतालों में बच्चों के लिए क्या तैयारी है? बिहार की करीब 12 करोड़ से अधिक चिह्नित आबादी में से 18 से कम आयु वर्ग के करीब साढ़े तीन करोड़ बच्चे और किशोर हैं. पहली और दूसरी लहर के दौरान इस साल मार्च से अब तक आये करीब आठ लाख संक्रमितों में से 14 वर्ष की आयु तक के बच्चे 2.7 प्रतिशत यानी करीब 25 हजार की संख्या में संक्रमित हुए हैं.
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स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का जवाब:आजादी के बाद पहली बार बिहार में जो शिशु मृत्यु दर है वो राष्ट्रीय औसत दर के बराबर आ गया है. आज बिहार की शिशु मृत्यु दर 32 है. देश की जो शिशु मृत्यु दर है वो 32 है, और ये आजादी के बाद पहली बार हुआ है. कुछ साल पहले तक ये बिहार में 37 था. बिहार में 5 साल से कम बच्चों की मृत्यु दर 36 है. बिहार के मानकों में पिछले 4-5 वर्षों में काफी परिवर्तन आया है.
- ये बहुत ही गंभीर विषय है और हमारे लिए भी काम करने का विषय है. जो राज्य के अंदर स्वास्थ्य की आधारभूत संरचनाएं हैं, उनको और बेहतर करना पड़ेगा. हमारे यहां सभी जिलों में NICU और PICU हैं. हमने सभी जिला अस्पतालों में इन बच्चों के लिए SNCU बनाए हैं. बच्चों के लिए हर अस्पतालों में 12 से लेकर 24 वॉर्मर लगाए गए. उनके लिए वेंटिलेटर की व्यवस्था भी हुई. बीमारी को झेलने के लिए आज संसाधन तैयार है. लेकिन बीमारी जब महामारी का रूप ले लेती है, तो निश्चित रुप से हमें सारी व्यवस्थाओं का आकार हमें बड़ा करना होगा और उन व्यवस्थाओं के आकार को बड़ा करने के लिए हम सभी लोगों ने आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.
- अगर तीसरी लहर आए तो हम मुकाबले को तैयार रहें, ऑक्सीजन के प्लांट सभी अस्पताल में लगाए जा रहे हैं. हम पीएसए प्लांट लगवा रहे हैं, हम ऑक्सीजन जनरेशन की अलग से यूनिट लगवा रहे हैं. पर्याप्त संख्या में बाइपैक की आपूर्ति कर रहे हैं. मुजफ्फरपुर में तो देश का सबसे बड़ा PICU अस्पताल 8 महीने में हमने बनाया. PICU अस्पताल के अतिरिक्त 16 चिन्हित PICU के 10-10 बेड बनवाए. लेकिन ये बेड सभी जिलों के लिए पर्याप्त नहीं हो ऐसे में ICU को और बढ़ाना होगा. इन सभी बिंदुओं पर हम काम कर रहे हैं.
ईटीवी भारत का सवाल: फ्री टीके की बात करने वाले को अब खजाने के घाटे की चिंता हो रही है? बिहार बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य में सभी लोगों को मुफ्त कोरोना का टीका देने का वादा करने वाली भारतीय जनता पार्टी अब रसोई गैस सिलेंडर की तरह कोरोना वैक्सीन के मूल्य चुकाने का विकल्प देने की बात करने लगी है. बीजेपी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी कहा है कि राज्य सरकार ने यदि वैक्सीन के मूल्य चुकाने का विकल्प दिया, तो गरीबों के टीकाकरण और इलाज के लिए ज्यादा संसाधन होंगे.
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का जवाब:बिहार की सरकार का निर्णय है, लोगों को सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में टीका देंगे. 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का टीकाकरण तो भारत सरकार के द्वारा हो ही रहा है. 18 से 44 साल तक के लोगों का टीका भी बिहार सरकार दे रही है. आज भी मुफ्त टीकाकरण हो रहा है. हमारे सरकारी अस्पतालों में टीकाकरण के लिए कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ेगा. इन अस्पतालों में टीका देने के लिए 4165 करोड़ की स्वीकृति बिहार की कैबिनेट ने दिया और उसमें से एक हजार करोड़ का आवंटन भी कर दिया. हमने एक करोड़ डोज का ऑर्डर भी कर दिया. उसमें से करीब 13 लाख डोज हमारे पास आ भी गए हैं. साढ़े आठ लाख डोज टीका हमने 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों को दे भी दिया हैं.
ईटीवी भारत का सवाल: बिहार के मिथिलांचल की लाइफलाइन कहे जाने वाली डीएमसीएच अस्पताल की हालत काफी खराब है. अस्पताल का सर्जिकल भवन खंडहर जैसा दिखता है. DMCH के सर्जीकल भवन में 100 से भी ज्यादा संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है. इस बिल्डिंग में मरीज़, डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ और सफाईकर्मी मिलाकर हमेशा 300 से 400 लोग रहते हैं. अस्पताल की हालत देख लगता है कि सबकी जान खतरे में है. जर्जर अस्पताल भवन को बरसों पहले ही भवन निर्माण विभाग इस्तेमाल लायक नहीं बताते हुए इसे तुरंत खाली करने को कह चुका है. फिर भी यहां कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है.
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का जवाब:निश्चित रुप सेडीएमसीएच का भवन पुराना है. 1983 में वो बना था. आप जिसकी चर्चा कर रहे हैं वो विरासत में मिली इमारत है. वहां के सर्जरी वार्ड के मरीजों को वहां से निकाल दिया गया. सर्जरी वार्ड बनने का काम नई बिल्डिंग में चल रहा है. जिसका शिलान्यास मैंने खुद किया था. वहां सर्जिकल वार्ड अलग से बन रहा है. और वो डीएमसीएच एम्स के रुप में बन रहा है. पीएम मोदी ने उसके लिए 1200 करोड़ की स्वीकृति भी दे दी. उस भवन के और वार्डों को भी देखा जाे जहां बेहतर इलाज हो रहा है.