पटना: पटना में रेल एसपी रहते आईपीएस जितेंद्र मिश्रा (IPS Jitendra Mishra) ने सामाजिक दशा को बदलने वाले बड़े काम किए. 2016 से 2018 के बीच स्टेशन और उसके आसपास की बस्ती में रहने वाले बच्चों को मुख्य धारा में जोड़ने का काम किया. उस वक्त आईपीएस जितेन्द्र मिश्रा के काम की बड़ी चर्चा थी. क्योंकि उन्होंने अपराधी पर फोकस न करके अपराध की जड़ पर ही सीधा हमला किया. आईजी जितेन्द्र मिश्रा ने पुलिसिंग क्या है और पुलिस को कैसा होना चाहिए इसपर उन्होंने कहा कि पुलिस को पब्लिक का विश्वास जीतने के लिए उन्हें सुनना होगा. क्योंकि जनता के पास तभी आती है जब सभी विकल्प खत्म हो जाते हैं.
आईजी जितेन्द्र मिश्रा ने इसी सोच के साथ गलत राह पर चलने वाले बच्चों को पढ़ाई की तरफ मोड़कर उन्होंने एक साथ दो चुनौतियों को आसान बना दिया. उनकी इस मुहिम का नतीजा ये हुआ कि स्टेशनों पर होने वाली छोटी मोटी चोरी की घटनाओं पर लगाम लग गया. आईपीएस जितेन्द्र मिश्रा इस वक्त गृह रक्षा वाहिनी में आईजी के पद पर कार्यरत हैं. बता दें कि 28 फरवरी को जितेंद्र मिश्रा गृह रक्षा वाहिनी के आईजी पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
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रेल एसपी पटना रहते हुए उन्होंने अपनी ड्यूटी को निष्ठा पूर्वक निर्वहन करते हुए गरीब बच्चों को शिक्षा सामग्री उपलब्ध कराकर स्कूल भेजने का काम किया करते थे. साथ ही साथ अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरुक करना और समय समय पर बच्चों को खुद पढ़ाने का बीड़ा उठाया था.
'स्टेशन के आसपास रहने वाले बच्चे जो स्कूल नहीं जा पा रहे थे, ऐसे बच्चे दिन भर रेलवे स्टेशन पर ही मटरगश्ती करते रहते थे और कभी कभी वह लोगों के समानों को लेकर भाग भी जाते थे. ऐसे बच्चों को सही राह पर लाना उनकी मुहिम बन चुकी थी. '-जितेन्द्र मिश्रा, आईजी, गृह रक्षा वाहिनी
आईजी जितेन्द्र मिश्रा ने बताया कि पटना रेल एसपी रहते हुए बच्चों को पढ़ाना. बस्ती में जाकर अभिभावकों को जागरूक करना एक बड़ी चुनौती थी. इसके लिए उन्होने अपनी पत्नी पूनम मिश्रा का भी सहयोग लिया. गरीब बच्चों को शिक्षित करने की खातिर पटना जंक्शन, राजेन्द्र नगर टर्मिनल और पाटलिपुत्र स्टेशन पर जीआरपी से मदद लेकर प्लेटफार्म पर ही पाठशाला चलाते थे. शाम 4 से 6 बजे तक बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दिया जाता था.
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एक्सक्लूसिव बातचीत में ईटीवी भारत से आईजी जितेन्द्र मिश्रा ने बताया कि पुलिसिंग क्या है, और किस तरह इसमें सुधार आया है? आईजी जितेन्द्र मिश्रा ने अपने जवाब में कहा कि उस वक्त की पुलिसिंग इंटेलिजेंस बेस्ड थी और अब टेक्निकल बेस्ड है, उसमें भी ह्यूमन सर्विलांस पर फोकस है. इसलिए पहले और अब की पुलिसिंग में काफी बदलाव आया है. पुलिस को पब्लिक फ्रेंडली रहना चाहिए. पुलिस को पब्लिक की बात सुनें. पब्लिक के बीच रहें, जिससे पब्लिक का विश्वास पुलिसिंग पर रहेगा. इससे सोर्स ज्यादा होगा और नियम संगत जो काम हो वह करें. उन्होंने कहा कि कोई भी आम पब्लिक पुलिस के पास तब आता है जब वह चारों तरफ से थक जाता है. ऐसी परिस्थिति में पुलिस का काम है कि उनकी तमाम बातों को धैर्य पूर्वक सुने और नियम संगत कार्रवाई करें.
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