पटना:बिहार के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत (Historical Heritage of Bihar) को संजोकर रखने के लिए युवा आगे आ रहे हैं. खासकर महिलाएं भी दिलचस्पी दिखा रही हैं. बिहार के एंटरप्रेन्योर ने ऐतिहासिक विरासत को संजोने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है. बिहार के पर्यटन स्थल की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान हो इसके लिए ऐतिहासिक विरासतओं की प्रतिकृति बनाकर घर-घर तक पहुंचाई जा रही है. युवा उद्यमी पेपर मेसी आर्ट, डोकरा आर्ट, टेराकोटा आर्ट, वुडन आर्ट और सिरामिक आर्ट के जरिए ऐतिहासिक प्रतिकृति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में जुटे हैं.
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बिहार में हेरिटेज स्टार्टअप: बिहार के नालंदा जिले से आने वाले रवि शंकर उपाध्याय और रचना प्रियदर्शनी ने बिहार के पर्यटन स्थलों को मिनिएचर के जरिए जन-जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है. इस हेरिटेज स्टार्टअप को उद्योग विभाग बिहार सरकार की ओर से सर्टिफिकेशन भी हासिल है. बिहार में कई ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है, जो परिचय के मोहताज नहीं है. पटना के ऐतिहासिक गोलघर के अलावा नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय, शेरशाह का मकबरा, महाबोधि मंदिर अंतरराष्ट्रीय पहचान है और मिनिएचर के जरिए महाबोधि मंदिर की प्रतिकृति नालंदा सील का मोमेंटो, गुल्लक, खिलौने आदि के जरिए रविशंकर और रचना ऐतिहासिक विरासत के प्रतिकृति को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं.
हमें अपनी विरासत पर करना चाहिए गर्व: स्टार्टअप के फाउंडर डायरेक्टर रवि शंकर उपाध्याय ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि 'हम अपने विरासत पर गर्व कर सकते हैं. अगर हम टी शर्ट में एफिल टावर पहन सकते हैं तो महाबोधि मंदिर, अशोका स्तंभ, जल मंदिर और ककोलत की तस्वीर युक्त टी शर्ट भी पहन सकते हैं. हमारे आपके घर के बच्चे डोरेमोन से तो खेल रहे हैं लेकिन उन्हें चाणक्य, आर्यभट्ट, महात्मा बुद्ध, भिखारी ठाकुर, पंडित मंडन मिश्र, सम्राट अशोक और चाणक्य से भी वाबस्ता होना चाहिए. नए कॉन्सेप्ट के जरिए हम हर घर तक पहुंचना चाहते हैं. ऐतिहासिक विरासत के छोटे स्वरूप को अगर हम ड्राइंग रूम तक पहुंचा देंगे तो हम अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे. इसके अलावा हम ऑनलाइन माध्यम से भी प्रति कीर्ति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने की कवायद में जुटे हैं.