पटना:बिहार राज्य विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर पटना विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय परिसर में मंगलवार को आधे घंटे का विरोध प्रदर्शन (Employees Protest In Patna University) किया. जिसमें कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों की एक ही मांग रही कि सरकार नई पेंशन नीति को खत्म कर पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को पुनः बहाल करें. प्रदेश के प्रख्यात अर्थशास्त्री और विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. नवल किशोर प्रसाद ने भी कर्मचारियों के इस मांग को अपना समर्थन दिया और समर्थन के लिए वह विश्वविद्यालय परिसर में भी मौजूद रहे.
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लंच के समय कर्मचारियों का प्रदर्शन: पटना विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के महासचिव फरमान अब्बास ने बताया कि सभी कर्मचारियों की एक ही मांग है कि सरकार अविलंब नई पेंशन नीति को रद्द कर पुरानी पेंशन नीति को फिर से लागू करे. उन्होंने बताया कि उनकी विरोध प्रदर्शन से विश्वविद्यालय के कार्य में कोई बाधा नहीं आई है. लंच के समय में 1:30 से 2:00 तक सभी कर्मचारियों ने आकर विश्वविद्यालय में नई पेंशन नीति का विरोध दर्ज किया है और सरकार से अपनी मांग की है कि अविलंब पुरानी पेंशन नीति को बहाल करें, अन्यथा आने वाले दिनों में कर्मचारी उग्र विरोध प्रदर्शन करने को विवश होंगे.
पुरानी पेंशन नीति लागू करने की मांग: वहीं, पटना विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुबोध कुमार ने बताया कि सभी कर्मचारी संकेतिक रूप से आज के दिन नई पेंशन नीति का विरोध दर्ज करा रहे हैं. साथ ही सरकार को बता रहे हैं कि अगर उनकी मांगे नहीं सुनी गई तो आगे आने वाले दिनों में कर्मचारी उग्र प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे. नई पेंशन नीति से कर्मचारियों को बहुत नुकसान हो रहा है, कर्मचारियों के रिटायर करने, उनकी मृत्यु होने पर कोई सुनने वाला नहीं है. इसलिए सभी कर्मचारी चाहते हैं कि पुरानी पेंशन नीति फिर से लागू हो.
नई पेंशन नीति में बहुत सारी खामियां: पटना विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष दिलीप कुमार गुप्ता ने कहा कि नई पेंशन नीति में बहुत सारी खामियां हैं. यह पेंशन नीति कर्मचारी विरोधी है. नई पेंशन नीति की सबसे बड़ी खामी है कि एक लंबी अवधि तक सेवा करने के बाद जो फाइनेंशियल सिक्योरिटी कर्मचारी को मिलनी चाहिए वह नहीं मिलती है. सरकार इसमें कोई जिम्मेदारी नहीं देती है और यह पूर्णतः एलआईसी और अन्य फाइनेंसियल एजेंसी के ग्रोथ पर पेंशन निर्भर है और इसमें कोई निश्चित राशि का प्रावधान नहीं है.