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आस्था पर भी कोरोना महामारी की मार, वट सावित्री पूजा के लिए घर से कम निकलीं महिलाएं - वट सावित्रि की कथा

महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य एवं कल्याण के लिए यह व्रत करती हैं. पुराणों में ये स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का वास होता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति की अकाल मृत्यु टल जाती है.

Patna
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Published : May 22, 2020, 1:32 PM IST

पटनाः पूरे देश में कोरोना का कहर जारी है. इसका असर व्रत त्यौहारों पर भी देखने को मिल रहा है. राज्य के विभिन्न जिलों में आज सुबह-सुबह महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा कर पति की लंबी आयु की कामना की. हर साल की अपेक्षा इस साल कम महिला श्रद्धालु ही पूजा स्थलों तक पहुंची.

एक दूसरे को सिंदूर लगाती महिलाएं

वटवृक्ष की परिक्रमा का विधान
वट वृक्ष की पूजा कर रही महिलाओं ने बताया कि आज के दिन हम 24 घंटे का उपवास करते हैं. जिसमें सिर्फ फल शाम के समय खाते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि यह व्रत अपने पति के साथ पूरे परिवार की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. इसमें बांस की टोकरी में सात तरह का अनाज और सुहाग की सामग्री रखकर महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं. इस व्रत में वट वृक्ष की परिक्रमा का विधान है.

आस्था पर कोरोना की मार

वट सावित्री की कथा
कथाओं के अनुसार वट वृक्ष के नीचे व्रत के प्रभाव से सावित्री ने अपने मृत पड़े पति सत्यवान को फिर से जीवित किया था. तभी से इस व्रत को वट सावित्री के नाम से जाना जाता है. महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य एवं कल्याण के लिए यह व्रत करती हैं. पुराणों में ये स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का वास होता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति की अकाल मृत्यु टल जाती है.

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