पटना: जनता के दरबार ( Janta Darbar ) में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) आम लोगों की समस्या सुन रहे हैं. इसी क्रम में वित्त रहित शिक्षकों को मिलने वाले अनुदान की मांग को लेकर एक कर्मचारी जनता दरबार में पहुंचा. इस क्रम में उसने कहा कि अपने वित्त रहित शिक्षकों को अनुदान देने की बात कही थी, लेकिन अनुदान नहीं मिल रहा है.
आगे उसने कहा कि सीएम सर, मैं आपके चरण में 70 कर्मचारियों का भविष्य रख रहा हूं. अब आप ही फैसला लीजिए. इस पर सीएम नीतीश ने कहा कि ऐसे कैसा हो गया. सरकार अनुदान देती है. इसके बाद उन्होंने तुरंत शिक्षा विभाग के अधिकारियों इस पर त्वरित कार्रवाई करने को कहा.
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बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने अप्रैल, 2006 में जनता दरबार शुरू किया था. 10 सालों तक जनता दरबार कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. मई, 2016 में लोक शिकायत निवारण कानून बनने के बाद नीतीश कुमार ने जनता दरबार कार्यक्रम को बंद कर दिया. 10 सालों में 241 जनता दरबार का कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. 10 सालों में 2,77,249 मामले सामने आए जिसका निष्पादन किया गया है. 5 साल बाद फिर जनता दरबार कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है. जनता दरबार के लिए इस बार मुख्यमंत्री सचिवालय परिसर में बड़ा सा हॉल बनाया गया है.
पहले मुख्यमंत्री आवास में जनता दरबार शुरू हुआ था और 10 सालों तक मुख्यमंत्री आवास परिसर में ही जनता दरबार लगता रहा. मुख्यमंत्री के जनता दरबार में संबंधित विभाग के मंत्री और सभी आला अधिकारी भी मौजूद रहते हैं और दरबार से ही समस्याओं का निदान कराने की कोशिश होती रही है. पहले जनता दरबार में कई बार हंगामा भी हुआ और मुख्यमंत्री पर चप्पल तक फेंका गया. महागठबंधन में जाने के बाद भी मुख्यमंत्री ने जनता दरबार कार्यक्रम बंद नहीं किया.