पटना:बिहार में गरीबों के सबसे बड़े नेता के रूप मेंकर्पूरी ठाकुर जाने जाते रहे हैं और इसलिए प्रदेश के एकलौते जननायक भी थे. जननायक के नाम पर नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव से लेकर बिहार के अधिकांश पार्टियां राजनीति करती रही हैं. जननायक को भारत रत्न मिले, इसके लिए मांग भी लगातार होती रही है. लेकिन केंद्र और बिहार में एनडीए सरकार है और डबल इंजन की सरकार में भी अब तक फैसला नहीं हो पाया है.
दो बार बने बिहार के मुख्यमंत्री
जननायक कर्पूरी ठाकुर की सादगी की चर्चा खूब होती रही है. लोगों के लिए सहज उपलब्ध रहने वाले जननायक दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे. कर्पूरी ठाकुर अति पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आने वाले नाई समाज से आते थे. लेकिन अपनी सादगी और गरीबों के लिए लिए गए फैसलों के कारण ही जननायक बन गए. इसलिए लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, सुशील कुमार मोदी जैसे नेता उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते रहे.
भारत रत्न देने की मांग
रामविलास तो नहीं रहे. लेकिन तीनों लालू, नीतीश और सुशील मोदी अभी भी हैं और उनके बताए रास्ते पर चलने की बात करते हैं. 64 साल की उम्र में जितनी लोकप्रियता हासिल की. नीतीश कुमार भी कहते रहे हैं कि वे जीवित रहते तो, देश के प्रधानमंत्री तक बन सकते थे. जननायक की उपलब्धियों को लेकर ही बिहार विधानसभा से लेकर संसद तक भारत रत्न देने की मांग होती रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर राजद सुप्रीमो लालू यादव तक ने कई बार इस मांग को रखा है. जदयू के सांसद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी यहां तक कहते हैं, जब तक भारत रत्न मिल नहीं जाएगा, तब तक हम लोगों का संघर्ष चलता रहेगा.