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बिहार विधानसभा चुनाव: चुनावी साल में एक दूसरे के विरोधी दलित MLA आरक्षण पर दिखा रहे एकजुटता

बिहार विधानसभा चुनाव में आरक्षण के मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी दलित विधायक एकजुट हो रहे है. वहीं, आरक्षण के मुद्दे पर सभी दलित विधायक, संघर्ष मोर्चा का गठन कर चुके हैं. जिसका संविधान भी बन चुका है और जल्द ही इसका रजिस्ट्रेशन भी होगा.

dalit MLA showing unity due to reservation issue in bihar assembly election
चुनावी साल में दलित MLA आरक्षण पर दिखा रहे एकजुटता

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Published : May 28, 2020, 11:20 PM IST

पटना:बिहार में जाति की राजनीति बहुत होती रही है. जाति के आधार पर राजनीतिक समीकरण चुनाव में चर्चा का विषय बनता है. जाति के आधार पर और वोट बैंक के अनुसार टिकट का बंटवारा किया जाता है. वहीं इसके बाद मंत्री तक का सफर तय किया जाता है. बिहार में हर पार्टी और गठबंधन की ओर से जाति की राजनीती की जाती है. लेकिन इस चुनावी साल में आरक्षण के मुद्दे पर पहली बार सभी दलों के दलित विधायक एकजुटता दिखा रहे हैं.

पहली बार एक साथ बैठ रहे एक दूसरे के विरोधी दलित विधायक
बता दें कि बिहार विधानसभा में 41 दलित विधायक हैं. इसमें सभी दल के विधायक शामिल हैं. सभी एससी-एसटी सुरक्षित क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. वहीं, पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने क्रीमी लेयर को लेकर जो राय दिया था. उसी के बाद दलित विधायकों में विधायक की कुर्सी जाने की चिंता होने लगी. इसी कारण से जेडीयू मंत्री श्याम रजक के नेतृत्व में सभी दलित विधायकों और मंत्रियों ने बैठक करने का फैसला लिया. इस मुद्दे को लेकर अब तक 3 बैठकें हो चुकी है.

बैठक में शामिल हो रहे आरजेडी विधायकों का कहना है कि इसका चुनाव पर तब असर पड़ेगा जब हम पहुंच पाएंगे. विधानसभा में जब आरक्षण ही नहीं रहेगा तो हम आएंगे कैसे.

जेडीयू विधायक ललन पासवान का कहना है कि 40 लाख बैकलॉग नौकरियों में है. हम सब प्रमोशन के मामले को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन न्यायालय लगातार आरक्षण से छेड़छाड़ कर रहा है.

कांग्रेस विधायक राजेश राम का कहना है कि 70 साल लग गए विधानसभा पहुंचने में, अब कोरोना महामारी के समय जो कुछ हो रहा है, मोदी सरकार में उसकी चिंता है. उसी से निपटने के लिए हम लोग रणनीति तैयार कर रहे हैं.

दलित विधायक संघर्ष मोर्चा का गठन

पहले कभी इस तरह से अलग-अलग दल के विधायकों को बैठक करते शायद ही देखा गया होगा, लेकिन आरक्षण के मुद्दे पर सभी दलित विधायक संघर्ष मोर्चा का गठन कर चुके हैं. मोर्चा के समन्वयक के लिए कमेटी भी गठित हो चुकी है. इसमें पूर्व सीएम जीतन राम मांझी, श्याम रजक, शिवचंद्र राम, ललन पासवान, अशोक राम और स्वीटी हेम्ब्रम को शामिल किया गया है. संविधान भी बन चुका है और जल्द ही इसका रजिस्ट्रेशन भी होगा. ये सभी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मिलकर अपनी बात रखने वाले हैं. वहीं, मांगे पूरी नहीं होने पर चरणबद्ध तरीको से आंदोलन शुरू करेंगे.

चुनावी साल में कब तक रहेगी एकता
बताया जा रहा है कि इस बैठक में शामिल होने के लिए एसएसी-एसटी सीट से जीतने वाले 41 विधायकों में से अधिकांश एमएलए पहुंच रहे हैं. सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस बैठक में बिहार सरकार के चार-चार मंत्री शामिल हो रहे हैं. भले ही आरक्षण के मुद्दे पर सभी दल के विधायक एक साथ बैठ रहे हैं, लेकिन सभी की चिंता चुनाव ही है. ऐसे में देखना दिलचस्प है कि चुनावी साल में जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आएगा. तब क्या सभी दलों के दलित विधायकों के बीच पार्टी से इतर इसी तरह की एकजुटता रह पाएगी.

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