पटना:बिहार में जाति की राजनीति बहुत होती रही है. जाति के आधार पर राजनीतिक समीकरण चुनाव में चर्चा का विषय बनता है. जाति के आधार पर और वोट बैंक के अनुसार टिकट का बंटवारा किया जाता है. वहीं इसके बाद मंत्री तक का सफर तय किया जाता है. बिहार में हर पार्टी और गठबंधन की ओर से जाति की राजनीती की जाती है. लेकिन इस चुनावी साल में आरक्षण के मुद्दे पर पहली बार सभी दलों के दलित विधायक एकजुटता दिखा रहे हैं.
पहली बार एक साथ बैठ रहे एक दूसरे के विरोधी दलित विधायक
बता दें कि बिहार विधानसभा में 41 दलित विधायक हैं. इसमें सभी दल के विधायक शामिल हैं. सभी एससी-एसटी सुरक्षित क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. वहीं, पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने क्रीमी लेयर को लेकर जो राय दिया था. उसी के बाद दलित विधायकों में विधायक की कुर्सी जाने की चिंता होने लगी. इसी कारण से जेडीयू मंत्री श्याम रजक के नेतृत्व में सभी दलित विधायकों और मंत्रियों ने बैठक करने का फैसला लिया. इस मुद्दे को लेकर अब तक 3 बैठकें हो चुकी है.
बैठक में शामिल हो रहे आरजेडी विधायकों का कहना है कि इसका चुनाव पर तब असर पड़ेगा जब हम पहुंच पाएंगे. विधानसभा में जब आरक्षण ही नहीं रहेगा तो हम आएंगे कैसे.
जेडीयू विधायक ललन पासवान का कहना है कि 40 लाख बैकलॉग नौकरियों में है. हम सब प्रमोशन के मामले को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन न्यायालय लगातार आरक्षण से छेड़छाड़ कर रहा है.