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'बोहनी हो जाए, तो गनीमत है साहब! कपड़ा खरीदने नहीं आ रहा एक भी ग्राहक'

अनलॉक-1 के बाद मिली छूट में पटना के कपड़ा व्यवसायियों का दर्द कम नहीं हुआ है. दुकानों में ग्राहकों नहीं आ रहे हैं. लिहाजा, कपड़ा विक्रेता परेशान हैं.

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Published : Jun 19, 2020, 11:01 PM IST

पटना से कुंदन की रिपोर्ट
पटना से कुंदन की रिपोर्ट

पटना : लॉकडाउन के दौरान गारमेंट्स की दुकान बंद रहीं. केंद्र सरकार के जारी फरमान में देशभर में अनलॉक-1 लागू किया गया. इसके बाद रेडीमेड कपड़ों की दुकानें भी खुली. लेकिन कोरोना काल में मिली यह छूट भी दुकानदारों का दर्द कम नहीं कर पा रहा है.

राजधानी पटना 10 हजार छोटी बड़ी कपड़े की दुकानें हैं. वहीं,500 से ज्यादा बड़े शोरूम हैं. मिली छूट के बाद इन दुकानों के शटर उठे तो जरूर हैं. लेकिन यहां ग्राहक नहीं पहुंच रहे. दुकानदारों की मानें, तो बोहनी के लिए पहला ग्राहक कब आएगा, ये उन्हें खुद नहीं पता है. वर्तमान हालात ऐसे हैं कि सुबह से शाम तक ग्राहकों की कमी बनी रहती है.

पटना से कुंदन की रिपोर्ट

पटना की प्रमुख कपड़ा मार्केट में सन्नाटा
पटना में खेतान मार्केट, पटना मार्केट, चौधरी मार्केट जैसे दर्जनों ऐसे मार्केट हैं, जहां कपड़े की 100 से ज्यादा दुकान एक जगह मौजूद है. यह मार्केट आम दिनों में गुलजार रहा करती थीं. अब हालात ऐसे हैं कि लॉकडाउन हटने के बाद भी यहां सन्नाटा पसरा रहता है. दुकानदारों ने बताया कि पहले यहां सुबह 10 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक लोगों की भीड़ बनी रहती थी.

शोरूम में पसरा सन्नाटा

मास्क की डिमांड
दुकानदारों ने बताया कि अब ग्राहक कपड़े खरीदने नहीं आ रहे. एक दो अगर आते भी हैं, तो वो मास्क की डिमांड करते हैं. कोरोना काल के दौरान शादी पार्टी भी नहीं हो रही हैं. ऐसे में नया परिधान कोई नहीं खरीद रहा है. वहीं, धंधा पूरी तरह मंदा पड़ा हुआ है. ग्राहक नहीं हैं, कपड़ा व्यवसायियों का व्यापार पूरी तरह घाटे में जा रहा है.

नहीं आ रहे ग्राहक

शो रूम में सन्नाटा
जहां छोटी-छोटी दुकानें बंद हैं, तो वहीं बड़े-बड़े शो रूम का हाल भी कुछ ऐसा ही है. रेडीमेड कपड़े न के बराबर बिक रहे हैं. दुकानदारों की मानें, तो किसी तरह उन्होंने लॉकडाउन के दौरान अपनी दुकानों का किराया भर दिया और अपने यहां काम कर रहे वर्करों को सैलरी का भुगतान कर दिया. लेकिन अगर हालात ऐसे ही रहे तो बड़ी समस्या होने वाली है.

लगा है कपड़ों का स्टॉक

लॉकडाउन के दौरान जहां अर्थ व्यवस्था बेपटरी हो गई. ऐसे में मिली छूट के बाद इसे पटरी पर लाने की कवायद शुरू हो गई है. वहीं, रेडीमेड कपड़ों की दुकानें चलाने वाले इस आश में हैं कि कब उनकी दुकानें गुलजार होंगी.

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