पटना: बिहार विधानसभा में पेश होने वाले बजट से लोगों में खासा उम्मीद देखने को मिल रहा है. युवा नेता भाकपा माले के विधायक मनोज मंजिल ने बताया कि सरकार के इस बजट में हमें कोई खास उम्मीद नहीं है. लेकिन जो जनता के मुद्दे हैं, उन पर सरकार ध्यान दें तो ज्यादा बेहतर होगा. सरकार ने जो 19 लाख रोजगार का वादा किया था वह सरकार को याद होना चाहिए और इसके लिए बजट में कुछ जरूर होना चाहिए.
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दवाइयों पर खर्च करने की मांग
दवाइयों पर खर्च करने की मांग बिहार सरकार प्रत्येक वर्ष एक आदमी पर दवाइयों पर मात्र 14 रुपये खर्च करती है. जबकि विभिन्न राज्यों में एक आदमी पर कम से कम 50 रुपये खर्च किए जाते हैं. बिहार में 61% डॉक्टर्स के पद, 10,000 एएनएम के पद, 60% असिस्टेंट प्रोफेसर के पद, 66% इंजीनियर के पद, 50,000 से अधिक पुलिस कर्मियों के पद खाली पड़े हुए हैं. इन्हें सरकार जल्द से जल्द भरने का काम करें. कितने पद खाली होने के कारण काम काफी धीमी गति से होता है और जनता का कार्य नहीं हो पाता है.
उद्योगों की हालत पस्त
उद्योग की हालत पस्तशिक्षा स्वास्थ्य रोजगार और कृषि के लिए बिहार में बजट बढ़ाया जाए. बिहार में नए उद्योग नहीं लग पा रहे हैं और जो पहले से चल रहे थे, उनकी भी हालत पस्त हो गई है. रोजगार के अवसर सृजित नहीं हो पा रहे हैं. शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार और कृषि इन चार मुद्दों को लेकर विधानसभा में मजबूती से आवाज उठाई जाएगी. साथ ही जनता का हक उन्हें दिलाया जाएगा. छात्र नेता सह माले विधायक संदीप सौरभ ने बताया कि-
एनडीए सरकार शुरू से ही पूंजीपतियों और कंपनी राज के पक्ष में है. वह जनता के पक्ष में नहीं है. सरकार से कोई उम्मीद नहीं है. लेकिन अब सरकार से कुछ मांग करते हैं कि वे ज्यादा से ज्यादा ध्यान दें तो ज्यादा बेहतर होगा. अन्यथा उसके लिए आंदोलन चलाया जाएगा. बिहार सरकार शिक्षा स्वास्थ्य की कमियां को दूर करें. स्कूल, कॉलेज में शिक्षकों को लाया जाए और इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर किया जाए.-संदीप सौरभ, माले विधायक
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टीईटी के छात्र कर रहे प्रदर्शन
टीईटी के छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. 94 हजार छात्रों का बहाली रुका हुआ है. सरकार इस पर जल्द से जल्द ध्यान दें और उन्हें बहाल कराएं. सरकार ने 19 लाख रोजगार देने का वादा किया था उस पर भी कार्य करें. शिक्षा को लेकर बिहार में स्पेशल पैकेज लाया जाए. हायर एजुकेशन के प्रति सरकार का जो रवैया है उसके लिए सरकार वाइट पेपर जारी करें. धान खरीद के लिए केंद्र सरकार ने 31 मार्च अंतिम तिथि घोषित किया था. लेकिन बिहार में इसे 21 तारीख को ही खत्म कर दिया गया. जिस वजह से बिहार के कई ऐसे किसान हैं जिनके पास काफी अधिक धान है. वे किसान बेचना चाहते हैं लेकिन खरीदारी करने वाला कोई नहीं बचा है.