पटना: राजधानी में कोरोना संक्रमण लगातार फैल रहा है. संक्रमित मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है. संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देख राज्य सरकार ने सभी पीएचसी में कोरोना जांच की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.
सरकार के निर्देश के बाद पटना जिले में सिविल सर्जन ने कोरोना जांच के लिए 35 टीम गठित की है. जिसमें पांच मोबाइल वैन है. वैन में मौजूद टेक्नीशियन ने घूम-घूमकर लोगों का सैंपल कलेक्ट करना भी शुरू कर दिया है.
'पटना में 30 टीमें कर रही कार्य'
इस मामले परपटना जिला सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी ने बताया कि कोरोना जांच के लिए पटना में 30 टीमें में काम कर रही है. जिसमें 25 फिक्स टीम है और 5 मोबाइल टीम है. ये टीम डोर-टू-डोर सैंपल कलेक्ट कर रही है. उन्होंने बताया कि टीम को सब डिविजनल लेवल पर हॉस्पिटल में भेजा गया है. पूरे पटना जिले में 35 टीम कोरोना का सैंपल जांच करने का काम कर रही हैं.
'रैपिड एंटीजन किट माध्यम से किया जा रहा जांच'
राज्य सरकार ने सभी पीएचसी में कोरोना सैंपल जांच करने का निर्देश दिया है. इस पर डॉ. राजकिशोर चौधरी ने बताया कि जब तक लैब टेक्नीशियन की संख्या में वृद्धि नहीं की जाएगी. तब तक सभी पीएचसी में सैंपल जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाएगी. उन्होंने कहा कि पटना के पीएचसी और सब डिविजनल हॉस्पिटल में जहां भी सैंपल जांच किए जा रहे हैं. वह रैपिड एंटीजन किट के माध्यम से किए जा रहे हैं.
इन केंद्रों पर है कोरोना जांच की सुविधा 'सिंप्टोमेटिक मरीजों का किया जा रहा जांच'
सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी ने बताया कि पटना जिले में लगभग रोजाना 300 से 400 रैपिड एंटीजन किट के माध्यम से कोरोना के सैंपल जांच किए जा रहे हैं. पटना के जिन 25 सेंटरों पर कोरोना जांच की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. वहां रैपिड एंटीजन कीट के माध्यम से ही सैंपल जांच हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि रैपिड किट में एक रिस्ट्रिक्शन है कि जिसका लो वायरल लोड होता है. उसका रिपोर्ट नेगेटिव आता है और उस नेगेटिव को फिर से जांच कराना पड़ सकता है. इसलिए अभी के समय उनकी टीम केवल सिंप्टोमेटिक का यानी जिन मरीजों को कुछ सिम्टम्स नजर आ रहे हैं, उन्हीं का सैंपल जांच कर रहे हैं.
'कोरोना जांच के लिए अस्पातल में नहीं लगाए भीड़'
सिविल सर्जन ने आम लोगों से अनुरोध करते हुए कहा कि अगर किसी को कोरोना लक्षण नहीं है, तो वे सिर्फ कंफर्मेशन के लिए अस्पताल में भीड़ नहीं लगाएं. क्योंकि हो सकता है कि जांच के वक्त जिसका रिपोर्ट नेगेटिव है. लेकिन दो दिन बाद सिम्टम्स डेवलप हो जाए और उसका रिपोर्ट फिर से पॉजिटिव हो जाए. उन्होंने कहा कि अगर लोग बिना सिम्टम्स के जांच करवाना चाहते हैं, तो इससे संसाधन और समय की बर्बादी होगी.