पटना: कोरोना के बाद देश में लगे लॉकडाउन से कई चीजों के दामों में भारी इजाफा हुआ है. लॉकडाउन का असर अब सभी सेक्टरों पर दिखने लगा है. बिहार सरकार की तरफ से ग्रामीण सड़कों के टेंडर निकालने के बावजूद भी कोई भी ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं है.
एक तरफ बिहार सरकार राज्य में रोजगार खड़ा करने का कई दावे कर रही है, तो वहीं ग्रामीण कार्य विभाग के तरफ से निकाले गए टेंडर में सुधार के तैयार नहीं होने से बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई. ठेकेदारों का मानना है कि लॉकडाउन के बाद निर्माण सामग्री की कीमत में काफी इजाफा हुआ है, जबकि सड़क मरम्मत का स्टीमेट पिछले साल बना था.
ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं
ग्रामीण कार्य विभाग इस साल 20 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कों की मरम्मत करने जा रहा है. इसमें 12 हजार किलोमीटर सड़कों का ही टेंडर फाइनल हो सका है. ग्रामीण कार्य विभाग बाकी बचे सड़कों के निर्माण के लिए कई बार टेंडर निकाल चुका है. लेकिन कोई ठेकेदार टेंडर नहीं डाल रहा है. वहीं, 5 हजार किलोमीटर का दोबारा टेंडर निकाला गया है. लेकिन अब तक कोई भी ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं है.
'स्टीमेट में हो बदलाव'
राज्य में मात्र 15 किलोमीटर पुरानी ग्रामीण सड़कों की मरम्मती हो पाई है, जबकि नई सड़क मरम्मत नीति के साल 2018 के नवंबर में ही आई थी. सूत्रों की माने तो ठेकेदारों का कहना है कि जब तक स्टीमेट में बदलाव नहीं होगा, तब तक सड़कों के निर्माण और मरम्मत का काम करना मुश्किल है.