पटना: राज्य के पंचायती राज व नगर निकायों के अंतर्गत विभिन्न ईकाइयों में कार्यरत शिक्षकों-पुस्तकालाध्यक्षों को आदेश के बाद भी लाभ नहीं दिया जा रहा है. शिक्षकों ने अब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय आयुक्त, राज्य के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक एवं प्राइमरी शिक्षा निदेशक के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में अवमानना वाद दायर किया है. बता दें कि ईपीएफ को लेकर जारी आदेश के बाद भी शिक्षकों को हर माह नुकसान हो रहा है.
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पहले भी दिया जा चुका है आदेश
पटना हाई कोर्ट द्वारा पहले ही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय आयुक्त को नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों को 60 दिनों के अंदर ईपीएफ का लाभ देना सुनिश्चित किए जाने का आदेश दिया जा चुका है. अवमानना वाद दायर करने वाले शिक्षक नेता सिद्धार्थ शंकर का कहना है कि न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय ने 17 सितंबर 2019 को यह आदेश (सीडब्ल्यूजेसीनंबर-1906/2019) दिया था.
आदेश में था कि इस मामले में कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन हो. लेकिन राज्य सरकार द्वारा इस आदेश व कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए नियुक्त तिथि से EPF का लाभ न देकर 31 अगस्त, 2020 तक नियुक्त शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों को 1 सितंबर 2020 से तथा 31अगस्त, 2020 के बाद नियुक्त शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों को उनकी नियुक्त तिथि से EPF का लाभ देने का आदेश जारी किया. साथ ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों की नियुक्ति तिथि को भी EPF प्रपत्र में 1 सितंबर, 2020 भरने का निर्देश जारी किया गया तथा उनसे भरवाया भी गया.
ईपीएफ का लाभ देने का निर्देश
शिक्षक नेता सिद्धार्थ शंकर ने कहा कि पटना हाई कोर्ट के आदेश में स्पष्ट निर्देश था कि EPF एक्ट का सख्ती से पालन करते हुए उसके अनुरूप ईपीएफ का लाभ दिया जाए. उन्होंने कहा कि कर्मचारी भविष्य अधिनियम 1952 के पारा 26 (2) में स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी कर्मचारी को भविष्य निधि का लाभ उसकी नियुक्त तिथि से दिया जाना है. साथ ही धारा 1(2) में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी विभाग/संगठन में 20 या उससे अधिक एवं नियुक्ति के समय पारिश्रमिक 6500 रुपए या उससे कम (वर्ष 2001 के अनुसार) या 15000 रुपए या उससे कम (वर्ष 2014 के अनुसार) पर कार्यरत हों तो उनका भविष्यनिधि संगठन से निबंधन तथा उनकी भविष्य निधि कटौती करना अनिवार्य है.
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यह है मामला
वर्ष 2006 से लेकर 2014 तक नियुक्त शिक्षकों व पुस्तकालाध्यक्षों का वेतन EPF लाभ देने के लिए EPF एक्ट के प्रावधानों के अनुरूप था. कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के प्रावधानों तथा पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधेश का हवाला देते हुए वाद कर्ता ने कर्मचारी भविष्य निधि आयुक्त समेत राज्य के मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के अधिकारियों व श्रमायुक्त को आवेदन देकर पटना उच्च न्यायालय के न्यायादेश एवं ईपीएफ एक्ट 1952 के अनुरूप ही नियुक्ति तिथि से लाभ देने की गुहार लगाई. मगर ना ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपने आदेश में कोई सुधार किया और ना ही कर्मचारी भविष्य निधि आयुक्त ने इस मामले में कोई कार्रवाई की. उन्होंने कहा कि न्यायालय के आदेश का पालन न होने के कारण ही मैंने पटना उच्च न्यायालय में अवमानना वाद दायर किया है.