पटना:बिहार बीजेपी(Bihar BJP) में उलटफेर का दौर पिछले कुछ महीनों से जारी है. बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ये सिलसिला तब शुरू हो गया था, जब सुशील मोदी, प्रेम कुमार और नंदकिशोर यादव को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया था. जेपी नड्डा (JP Nadda) की टीम में भी तीनों नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली. इधर पार्टी के संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ को भी प्रमोट कर रांची भेज दिया गया और उनकी जगह भिखूभाई दलसानिया ने लिया.
ये भी पढ़ें: 'पार्टी विद डिफरेंस' वाली BJP पर भी चढ़ा बिहार का सियासी रंग, प्रदेश प्रभारी के ऐलान के बाद असमंजस क्यों?
लंबे समय तक बिहार प्रभारी के रूप में काम कर चुके भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) केंद्र की सरकार में मंत्री बन चुके हैं और उनकी जगह नए चेहरे की तलाश थी. भूपेंद्र यादव की टीम में हरीश द्विवेदी (Harish Dwivedi) सह प्रभारी के रूप में काम कर चुके हैं. लिहाजा उनका नाम आगे कर दिया गया, लेकिन फिर फैसले पर संशय की स्थिति बन गई. वे उत्तर प्रदेश के बस्ती से सांसद हैं और वह अगड़ी जाति से आते हैं.
दरअसल, पिछले कुछ सालों में बिहार में बीजेपी ने रणनीतियों में बदलाव किया है. पिछड़ा वोट बैंक को साधने के लिए संगठन में पिछड़ी जाति के नेताओं को तवज्जो मिली है. भूपेंद्र यादव लंबे समय तक बिहार बीजेपी के प्रभारी रहे. माना जाता है कि भूपेंद्र यादव, संजय जायसवाल और नित्यानंद राय की सहमति के बगैर पार्टी में बड़े फैसले संभव नहीं हैं. सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार भी पिछड़ी राजनीति की उपज हैं.
पूर्व संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ के तबादले के बाद जिन्हें संगठन मंत्री बनाया गया है, वह भी पिछड़ी जाति से आते हैं. ऐसे में हरीश द्विवेदी को बिहार प्रभारी के रूप में आगे किए जाने के बाद बीजेपी की आंतरिक राजनीति में उठापटक का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में हरीश की ताजपोशी पर ग्रहण लग गया. उन्होंने खुद भी अपने ट्विटर अकाउंट पर सह प्रभारी लिख दिया.