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हम प्रचार प्रसार में नहीं काम पर करते हैं फोकस: सीएम नीतीश

जनता दरबार के बाद सीएम नीतीश कुमार ने मीडियाकर्मियों से बातचीत की. उन्होंने किसान आंदोलन के बारे में कुछ बयान तो नहीं दिया लेकिन बिहार की उपलब्धियों को जरूर गिना दिया.

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

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Published : Sep 6, 2021, 4:58 PM IST

पटनाः सोमवार को सीएम नीतीश कुमार ने जनता दरबार में लोगों की फरियाद सुनी. उसके बाद उन्होंने मीडियाकर्मियों से बातचीत की. किसान आंदोलन को लेकर एक सवाल पर उन्होंने कहा कि केंद्र इस मामले को देख रही है. केंद्र ही बेहतर जवाब दे सकती है. लेकिनसीएम नीतीश ने इस जवाब पर बिहार की उपलब्धियों को जरूर गिना दिया.

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'किसान आंदोलन के मामले को केंद्र सरकार देख रही है. केंद्र सरकार ही इस पर बात करेगी. आप बिहार को देख ही रहे हैं. किसानों के लिए हमने काफी काम किया है. किसानों को फायदा मिला है. देश के अलग-अलग जगहों के मामले को लेकर कुछ लोग आंदोलन कर रहे हैं, तो केंद्र सरकार इस पर बोलेगी. इसको चुनाव और राजनीत से कोई जोड़ता है तो ये उनका काम है. हमें क्या कहना है. राजनीत करने की उनकी इच्छा है. उनका अपना काम है. हम तो बस काम करने पर विश्वास करते हैं. हम प्रचार प्रसार करना उचित नहीं समझते हैं.'-नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

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सीएए ने कहा कि राजनीत के तौर पर किसी को काम करने का मौका मिलता है, तो सोचना चाहिए कि किसी की भलाई कैसे होगी. किसी को आगे कैसे बढ़ाएं, विकास कैसे होगा. उसी हिसाब से हमलोग काम कर रहे हैं. आप देख रहे हैं कि बिहार में कितना उत्पादन बढ़ा है. उत्पादकता बढ़ रही है.

उन्होंने कहा कि पहले ऐसा नहीं था. अब किसानों को लाभ मिल रहा है. तीन फेस से हमलोग कृषि रूट मैप बना कर काम कर रहे हैं. हमारा दृष्टिकोण दूसरा है. हम प्रचार-प्रसार नहीं, काम करते हैं. कोई चाहते हैं कि प्रचार करें, उसकी चर्चा करें. कोई इस पर राजनीत करना चाहे तो करे. इसमें हमारी क्या प्रतिक्रिया हो सकती है.

एनडीए सरकार में कृषि को लेकर लिए गए बड़े फैसले

  • कृषि कैबिनेट का गठन
  • कृषि रोड मैप
  • फसल सहायता योजना
  • किसी के यांत्रिकीकरण पर सब्सिडी
  • जैविक कृषि पर जोर
  • बीज उत्पादन में पहल
  • बाढ़ और सुखाड़ में किसानों को इनपुट सब्सिडी

बता दें कि आरजेडी के शासन काल में कृषि का बजट 20 करोड़ था. जबकि एनडीए के शासन काल में यह बढ़कर 24 सौ करोड़ हो गया. वहीं आरजेडी के काल के सिंचाई पर 7115 करोड़ खर्च होते थे. जबकि एनडीए के शासन काल में 33164 करोड़ खर्च हो रहे हैं.

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