पटना:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की अध्यक्षता में आज पंचायत प्रतिनिधियों के उन्मुखीकरण पर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. जहां सीएम निर्वाचित 247656 पंचायत प्रतिनिधियों से संवाद करेंगे. इस कार्यक्रम में बिहार के उपमुख्यमंत्री और पंचायती राज विभाग के मंत्री के साथ-साथ सभी आला अधिकारी मौजूद रहेंगे. मुख्य सचिवालय सभागार से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों से सभी पंचायत प्रतिनिधि जुड़ेंगे. इस कार्यक्रम का मकसद प्रतिनिधियों के अधिकार और जवाबदेही पर चर्चा करना है.
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8067 पंचायतों के प्रतिनिधियों का यह कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम में मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, राज्य परिषद सदस्य और पंच शामिल होंगे. मुखिया के साथ सरपंचों को पंचायती राज व्यवस्था में 3 बड़े अधिकार दिए गए हैं. ग्राम पंचायत की बैठक बुलाना, उनकी अध्यक्षता करना, इसके अलावा ग्राम पंचायत की कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां भी इन्हीं के पास हैं. इनके जिम्मे जो मुख्य कार्य हैं, उसमें गांव की सड़कों की देखभाल, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, सिंचाई की व्यवस्था करने का अलावा दाह संस्कार और कब्रिस्तान का रखरखाव करना शामिल है. बिहार सरकार के सात निश्चय योजना से लेकर केंद्र और राज्य की कई योजनाएं में त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका अहम है.
पंचायतों में महिलाओं को 50% आरक्षण देने वाला बिहार पहला राज्य है. पिछले साल हुए पंचायत चुनाव में महिलाओं के आरक्षित पद से पांच से 10% अधिक महिलाएं निर्वाचित हुई हैं. ऐसे निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों में 80 से 85% नए चेहरे हैं और सरकार अब इन्हें गांव के विकास की जिम्मेवारी सौंपने वाली है. इसके लिए निर्वाचित 247656 पंचायत प्रतिनिधियों के उन्मुखीकरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया है. बिहार पंचायत चुनाव 2021 में कुल 11 चरणों में हुए चुनाव में 6 पदों पर एक साथ कुल 247656 पंचायत प्रतिनिधि चुने गए. इसमें ग्राम पंचायत मुखिया 8067, ग्राम पंचायत सदस्य 109634, पंचायत समिति सदस्य 11094, जिला परिषद सदस्य 1160, सरपंच 8067 और पंच 109634 हैं. पंचायती राज विभाग के अनुसार मुखिया और सरपंच को महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी गई है.
मुखियाको अपने कार्य क्षेत्र 1 वर्ष में कम से कम 4 बैठकें आयोजित करनी होगी. बैठक के अलावा मुखिया के पास ग्राम पंचायतों के विकास की कार्य योजना बनाने का अधिकार है और
विभिन्न प्रस्ताव को लागू करने की जवाबदेही भी मुखिया पर है. इसके साथ ग्राम पंचायतों के लिए तय किए गए टैक्स चंदे और अन्य शुल्क की वसूली के इंतजाम भी करने की जिम्मेवारी है. वहीं, पंचायती राज व्यवस्था में सरपंचको 3 अधिकार दिए गए हैं. ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने का अधिकार और उसकी अध्यक्षता करना है. ग्राम पंचायत की कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां भी सरपंच के पास ही है. गांव की सड़कों की देखभाल, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, सिंचाई की व्यवस्था करना, दाह संस्कार और कब्रिस्तान का रखरखाव करना है.
ग्राम पंचायतों को कई भागों में बांटा गया है. हर वार्ड में से एक मेंबर चुना जाता है, जिसे वार्ड मेंबर या वार्ड सदस्य कहते हैं. मुखिया तक वार्ड की समस्या पहुंचाना इनका प्रमुख कार्य है. पंचायती राज विभाग के अनुसार पंचायत समिति को जो कार्य सौपे गए हैं, उसके मुताबिक केंद्र राज्य और जिला परिषद द्वारा सौंपे गए कार्यों का निष्पादन करना है. पंचायत समिति का वार्षिक बजट बनाना और बजट पेश करना भी है.
वहीं, जिला परिषद राज्य की जिला स्तरीय संस्था है. एक ओर पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों की संस्था के रूप में कार्य करती है तो दूसरी ओर केंद्र और राज्य सरकारों के लिए संपर्क संस्था की भूमिका निभाती है. जिस तरह से मुखिया के नीचे वार्ड मेंबर होते हैं, उसी तरह से हर वार्ड में पंच भी चुने जाते हैं. जो सरपंच के साथ मिलकर न्याय की बागडोर संभालते हैं.
मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना, ग्रामीण गली नाली पक्की करण निश्चय योजना, जल जीवन हरियाली अभियान, सभी गांव में सोलर स्ट्रीट लाइट योजना, राष्ट्रीय ग्राम स्वरोजगार योजना प्रमुख है. पंचायत प्रतिनिधियों की मदद के लिए सरकार ने प्रशासनिक व्यवस्था भी की है. 8067 पंचायतों में से 7829 पंचायत में कार्यपालक सहायक पदाधिकारी की नियुक्ति की है. शेष में जिला पदाधिकारी की ओर से व्यवस्था की जाएगी.