पटना: बिहार में अन्य राज्यों के तर्ज पर इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (Emergency Response Support System) की सेवा शुरू हो गई है. यह एक इंटीग्रेटेड सुविधा प्रणाली है, जिस पर एम्बुलेंस, अपराध और फायर बिग्रेड सहित अन्य किसी भी आपातकाल स्थिति में फंसे लोग मदद के लिए फोन कर सकते हैं. इन सभी के लिए आज से अलग-अलग हेल्पलाइन नंबर डायल नहीं करना पड़ेगा. इस सेवा का शुभारंभ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने अपने हाथों से किया. उन्होंने हरी झंडी दिखाकर 400 वाहनों को रवाना किया.
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ट्रायल के बाद सेवा की शुरुआत:आम जनता आज से आपातकालीन सेवा के तौर पर डायल 112 पर फोन कर सकेंगे. इससे पहले पटना समेत कुछ जिलों में ही इसका ट्रायल चल रहा था. यह एक इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम है. जिसे ईआरएसएस (ERSS) यानी डायल 112 कहते है. पहले चरण में 400 वाहनों में मोबाइल डाटा टर्मिनल लगाया गया है. यह जीपीएस की तरह काम करेगा. इससे एक मॉनिटर रहेगा जिसमें तीन हिस्सों में जानकारी उपलब्ध होगी. यह सेवा 24 घंटे सातों दिन उपलब्ध रहेगी. कॉल ट्रैक के तौर पर 270 महिला पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है, जो कॉल रिसीव करेंगे. प्रत्येक पाली में 90 महिला कर्मी प्रतिनियुक्त रहेंगी.
पुलिस रेडियो परिसर में कमांड सेंटर:डायल 112 का कमांड सेंटर बिहार पुलिस रेडियो परिसर में बनाया गया है. फिलहाल जब तक इसका खुद का बिल्डिंग राजीव नगर में नहीं बन जाता है, तब तक यही से सेवा को संचालित किया जाएगा. इसमें 24 सब इंस्पेक्टर डिस्पेचर का काम करेंगे तथा निर्णय लेंगे कि कॉल कहां फॉरवर्ड करना है. सात इंस्पेक्टर ऑफिशल सुपरवाइजर होंगे, जो केस को क्लोज करने का निर्णय लेंगे. डायल 112 पर जैसे ही किसी पीड़ित कॉल करेंगे तो खुद ब खुद कंप्यूटर में एक मामला रजिस्टर होगा. इसका एक यूनिक आईडी जनरेट होगा और यह सूचना पीड़ित के पास भी जाएगा.
7 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती:राजधानी पटना में डायल 112 के तहत कुल 100 और राज्य भर में पहले चरण में 400 गाड़ियां उपलब्ध कराई गई है. इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम के लिए राजवंशीनगर के पास 24 घंटे काम करने वाला कंट्रोल रूम बनाया गया है. योजना के तहत शहर के विभिन्न इलाकों में डायल 112 लिखी पुलिस की गाड़ियां अलग-अलग जगहों पर पहले से मुस्तैद रहेंगी. करीब 7000 पुलिसकर्मी को आपातकालीन सेवा मुहैया कराने तैनात किया गया है. इसमें सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर रैंक तक के पुलिसकर्मी हैं. यही नहीं एसपी रैंक के भी दो पुलिस अफसर को लगाया गया है. जिनकी मॉनिटरिंग आईजी रैंक के अधिकारी करेंगे.
जिला मुख्यालय में डायल 112 की सुविधा:बता दें कि डायल 112 की सेवा का लाभ फिलहाल जिला मुख्यालय वाले शहरों को ही मिलेगा. इसके बाद धीरे धीरे अनुमंडल और प्रखंड स्तर तक इसे ले जाने की योजना है. उद्घाटन से पहले जिला मुख्यालय वाले शहरों में डायल 112 के लिए जरूरी वाहन समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई हैं. डायल 112 के लिए विशेष बोलेरो गाड़ियां मंगाई गई हैं, जो जीपीएस समेत अन्य अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. इसमें मददगार तक पहुंचने के लिए रूट मैप देखने की भी व्यवस्था होगी.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम देश भर में शुरू किया जा रहा है. इस सेवा का उद्देश्य सभी आपातकालीन सेवाओं के नंबर 100 102-103 को एक ही नंबर 112 के तहत एक ही प्लेटफार्म पर लाना है. डायल 112 को इस तरह डिजाइन किया गया है कि आपात स्थिति में नागरिकों के द्वारा वॉइस कॉल, एसएमएस, ईमेल, पैनिक एसओएस रिक्वेस्ट इस पर भेजा जा सकता है.
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डायल 112 का रिस्पांस टाइम 25 मिनट:गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चेतन्य प्रसाद और बिहार के डीजीपी संजीव कुमार सिंघल (DGP Sanjeev Kumar Singhal) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि सभी समस्याओं का निराकरण डायल 112 के तहत होगा. उन्होंने बताया कि एप डाउनलोड करने पर तुरंत कॉल बैक आएगा. पूरे राज्य में अभी से 25 मिनट में घटनास्थल पर डायल 112 की टीम पहुंचेगी. उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में 400 गाड़ियों से स्टार्ट किया गया है. दूसरा चरण इस साल के अंत तक के पूरा कर लिया जाएगा, जिसमें 12 सौ गाड़ियां और 1500 मोटरसाइकिल खरीदी जाएगी. उन्होंने बताया कि सभी गाड़ियों में लगे लोकेशन ट्रैकर के माध्यम से आम लोगों का लोकेशन भी पता चलेगा. इसके साथ-साथ दूसरे जिले के बड़ी घटना पर वहां के डीएम और एसपी को भी संदेश दिया जाएगा.