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सियासत में 'गुगली' फेंकते रहे हैं नीतीश, जानें कब-कब दांव उल्टे पड़े तो लिया यू-टर्न.. - etv bharat

बिहार की राजनीति (Bihar Politics) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उलझा दिया है. पिछले कुछ महीनों से नीतीश सियासत का केंद्र बिंदु हैं. हाल के कुछ महीनों में नीतीश कुमार ने कई दाव चले, लेकिन दांव उल्टे पड़ते ही उन्होंने यू-टर्न लेने में देरी नहीं की. ऐसे में नीतीश कुमार की गुगली में बिहार के कई राजनेता फंसते दिखाई दिए. यही कारण है कि जानकार कहते हैं कि नीतीश कुमार थर्मामीटर लगाकर राजनीतिक पारा नापने की कोशिश करते हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

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Published : Apr 2, 2022, 10:06 PM IST

पटना:पिछले कुछ महीनों से बिहार की सियासत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के इर्द-गिर्द घूम रही है. नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक दांव से सबको चौंकाया है. प्रशांत किशोर से लंबे अरसे के बाद मुख्यमंत्री ने दिल्ली में मुलाकात की और फिर उसके बाद राष्ट्रपति पद को लेकर शिगूफा सामने आया. सीएम नीतीश को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बताया जाने लगा. दरअसल, उन दिनों राज्यों के चुनाव नहीं हुए थे और बीजेपी खुद के वोट से राष्ट्रपति को जीता पाने में सक्षम नहीं थी. तब नीतीश कुमार का नाम विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में उछाला गया. राज्यों के चुनाव के नतीजे आने के साथ ही मुहिम पर पानी फिर गया.

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रणनीति में किया बदलाव:उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजे आए और नीतीश कुमार ने तेजी से रणनीति में बदलाव किया. जिस योगी आदित्यनाथ को बिहार के चुनाव प्रचार में वो आने नहीं देना चाहते थे, उस योगी के शपथ ग्रहण में पहुंचे और टीम मोदी के समक्ष आत्मसमर्पण भाव में अभिवादन किया. राष्ट्रपति पद की दावेदारी के बाद उपराष्ट्रपति पद को लेकर भी नीतीश कुमार का नाम उछाला गया. यूपी चुनाव के बाद नीतीश कुमार का नाम राष्ट्रीय राजनीति में जोर शोर से उछाला गया.

अफवाहों का किया खंडन: बाद में राज्यसभा को लेकर भी नीतीश कुमार सुर्खियों में आए और खबर यह है कि नीतीश कुमार राज्यसभा जाना चाहते हैं, लेकिन एक ही दिन बाद नीतीश कुमार ने अपनी तरफ से खबर का खंडन कर दिया और कहा कि ऐसा कुछ उन्होंने नहीं कहा था. नीतीश कुमार ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में यहां तक कहा कि मेरी अब कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है.

JDU नेताओं ने संभाला मोर्चा: बीजेपी की तरफ से यह कभी नहीं कहा गया कि नीतीश कुमार 2024 तक के लिए मुख्यमंत्री नहीं है. बावजूद इसके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन में कई जेडीयू नेता आ गए. पहले जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि 2024 तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं. फिर उपेंद्र कुशवाहा ने दंभ भरा और कहा कि 2024 तक नीतीश कुमार को कोई नहीं हटा सकता है.

'मजबूत स्थिति में NDA सरकार':बीजेपी की तरफ से कहा गया कि पार्टी ने कभी भी मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार को खारिज नहीं किया है. पार्टी के शीर्ष नेता यह कह चुके हैं कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल (BJP spokesperson Prem Ranjan Patel) ने कहा कि नीतीश कुमार 2024 तक मुख्यमंत्री हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है.

''खबरें चल रही थी कि नीतीश कुमार राज्यसभा में जा रहे हैं, कहीं कोई ऐसी बात अभी नहीं हुई है. नीतीश कुमार जब मुख्यमंत्री बने हैं तो एनडीए के चेहरे के रुप में नीतीश कुमार थे. उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था. सरकार बनने के बाद बेहतर करीके से सरकार चल रही है. तो फिर ये बात कहां से आ गई कि नीतीश कुमार राज्यसभा जा रहे हैं, इसलिए उन्होंने इस भ्रम को तोड़ा है. एनडीए की सरकार हमारी मजबूत स्थिति में है और आगे भी ये सरकार चलती रहेगी.''-प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

'नेता प्रतिपक्ष अफवाहों को दे रहे हवा':वहीं, जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा (JDU spokesperson Abhishek Jha) ने कहा है कि मीडिया में कुछ खबरें चलाई जा रही थी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) उसे हवा दे रहे थे. इस वजह से जेडीयू नेताओं को सामने आना पड़ा. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की इच्छा केंद्र की राजनीति में जाने की कतई नहीं है.

''कई लोग अपने हिसाब से एजेंडा सेट करके भ्रामक बातें फैलाते हैं. मीडिया के माध्यम से ये चीजें सामने आती हैं. हमने तो पहले ही कहा है कि मीडिया को ऐसी खबरों को प्राथमिकता नहीं देना चाहिए, लेकिन जब 2-3 दिनों तक इस खबर को चलाया गया तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ऐसी खबरों को हवा देने के लिए जाने जाते हैं उन्होंने भी इस बात को कहा तो हमारे वरिष्ठ नेताओं ने इसका खंडन किया. जब जनता ने 5 सालों को मेंडेट दिया है तो उसमें दिक्कत कहां है.''-अभिषेक झा, जेडीयू प्रवक्ता

''नीतीश कुमार थर्मामीटर लगाकर राजनीतिक पारा नापने की कोशिश करते हैं. यही वजह है कि उनके पक्ष में तरह-तरह के बयान आ रहे हैं. अपने बयानों के जरिए एक ओर जहां जेडीयू नेता कार्यकर्ताओं में उत्साह भरना चाहते हैं. वहीं, टूट की आशंका को खारिज करने की कोशिश की जाती है, दूसरी तरफ बीजेपी को भी दबाव में लाने की सियासत जेडीयू नेताओं की है.''-कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

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