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गंगा पथवे का इस्तेमाल कर पटना के किसी भी घाट तक पहुंच सकते हैं छठव्रती, प्रशासन मुस्तैद

छठ पूजा (Chhath Puja 2021) को लेकर राजधानी पटना के सभी घाट पर व्यवस्था दुरुस्त कर दी गई है. गंगा पथवे बनने से छठव्रतियों को किसी भी घाट पर पहुंचने में आसानी होगी. आस्था एवं विश्वास के साथ अप अपनी पूजा सफल कर सकते हैं. घाट पर जाने से पहले पढ़ लें ये खबर....

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Published : Nov 9, 2021, 7:35 AM IST

पटना:छठ पूजा (Chhath Puja 2021) की शुरूआत नहाय खाय (Nahay Khay) के साथ हो चुकी है. आज खरना है. छठपूजा में किसी भी छठव्रती (Chhathvarti) को किसी भी तरह की परेशानी न हो, इसके लिये सरकार, प्रसाशन, स्वयंसेवी संस्था और ईटीवी भारत की टीम पूरी तरह मुस्तैद है. राजधानी पटना में आप किसी भी घाट पर पूजा कर सकते हैं.

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पटना सिटी में चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था के महापर्व छठपूजा के मौके पर सभी छठव्रती गंगा पथवे का प्रयोग कर पटना के किसी भी घाट पर पूजा अर्चना कर सकते हैं. अगर किसी छठव्रती को पटना सिटी में अर्घ्य देना है तो आप पैदल गंगा पथवे का प्रयोग करें अगर अपनी सवारी से आना चाहते हैं तो अशोक राजपथ होते हुए गाय घाट पहुंचे, वहां हथिया बगान में अपना वाहन लगाकर गायघाट, गंगा घाट पैदल मार्ग से पहुंचकर किसी भी घाट पर पूजा करें.

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प्रशासन की ओर से यह सभी घाट सार्वजनिक कर दिया गया है. अगर कोई पटनासिटी से पटना के घाट पर पूजा करना चाहते हैं तो वो भी इसी रास्ते का प्रयोग करें. गौरतलब है कि छठ पूजा के तीसरे दिन अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देने के पहले अधिकांश जगहों पर यात्री गाड़ी चलाना बन्द हो जाती है. इसलिय अशोक राजपथ, गुरुगोविंद सिंह, सुदर्शन पथ, शेरशाह पथ, एनएच-30 से जुड़े लिंक पथ इन सभी रास्तों पर छठपूजा से जुड़े गाड़ी का परिचालन होना है. इसलिए ईटीवी भारत पटना से सिटी और सिटी से पटना जाने के वे तमाम रास्ते को अबडेट्स कर आप तक पहुंचा रहा है. ताकि आपका पर्व सफल हो. आपका पर्व सफल हो यही हमारा मकसद है.

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बता दें कि नहाए खाए के साथ लोक आस्था का महापर्व यानी छठ पूजा (Chhath Puja 2021) सोमवार से शुरू हो चुकी है. मंगलवार को खरना है. खरना या लोहंडा छठ पूजा का महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन व्रत रखा जाता और रात में खीर खाकर फिर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है. इस दिन छठ पूजा के प्रसाद की तैयारी की जाती है और प्रसाद बनाया जाता है. 10 नंवबर बुधवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं 11 नवंबर गुरुवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन होगा.

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