पटना:छठ पूजा का महत्व बहुत ज्यादा है. यह व्रत जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और सूर्य आदि को समर्पित है. इस त्योहार को मुख्यत पूर्वी भारत खासकर बिहार में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. छठपूजा को लेकर ईटीवी संवाददाता ने पटना के बड़ी पटनदेवी मन्दिर के महंत विजय शंकर गिरी से की खास बातचीत की और जाना की छठपूजा का क्या महत्व है और इसे क्या मान्यता चली आ रही है.
प्रकृति की पूजा
बातचीत में महंत ने बताया कि छठ का त्योहार देवी-देवताओं के पूजा के साथ-साथ प्रकृति और कृषि के प्रति आस्था का प्रतीक है. इस व्रत में सूर्यदेव और छठी मैया दोनों की पूजा की जाती है. इस पूजा में जल-वायु-पृथ्वी-अग्नि और सूर्य की आराधना होती है. तभी तो 36 घण्टा निर्जला व्रत उपवास रहकर भी लोग पूजा करते हैं.
लोक-आस्था के महापर्व की महत्त्व को जाने ''छठ पूजा प्रकृति की पूजा है. जिसमें साक्षात पंचतत्व की पूजा की जाती है. जैसे जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और सूर्य. जिससे लोग दर्शन और अनुभव करते हैं. इस पंचतत्व से सृष्टि का निर्माण हुआ है. इसलिए विज्ञान भी मानता है कि छठपूजा में एक अदभुत और आलौकिक शक्ति है''.-महंत विजय शंकर गिरी,बड़ी पटनदेवी मन्दिर
बिहार में सूर्य पूजा और छठ मैया की पूजा का विशेष महत्व है. यहां के लोगों को इस पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है. बिहार में सूर्य देव की पूजा सदियों से प्रचलित है. लोक आस्था के साथ-साथ प्रकृति की भी पूजा होती है. इसमें साक्षात सूर्य भगवान की आराधना होती है.छठी मईआ की लोग पूजा करते हैं. पूरे भारतवर्ष में लोग छठपूजा कोआस्था के साथ पूजा-अर्चना करते हैं. इसलिए बिहार-झारखंड के अलावा जहां-जहां बिहार के लोग रहतें हैं, लोक आस्था का यह पर्व मनाते हैं.