पटना: तो क्याकेंद्रीय टीम ने बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था की तारीफ नहीं की थी? क्योंकि जिस तरह से तथ्य उभरकर सामने आ रहे हैं वो ते इसी ओर इशारा कर रहा है. केन्द्रीय टीम ने जो रिपोर्ट सौंपी है उससे बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की कलई खोल दी है.
दो दिवसीय दौरे पर बिहार आई थी केंद्रीय टीम
दरअसल, कोरोना संक्रमण से लड़ाई में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री लगातार अपनी पीठ थपथपाते हुए दिख रहे हैं. पिछले दिनों संक्रमण से बिगड़े हालात का जायजा लेने के लिए केंद्रीय टीम दो दिवसीय दौरे पर बिहार आई थी. हालांकि टीम की ओर से उस समय मीडिया को किसी भी तरह का बयान नहीं दिया गया. टीम के लौटने पर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने अपने विभाग के काम की जमकर तारीफ की.
संवाददाता अभिषेक की रिपोर्ट. 'मनगढ़ंत था बयान?'
मंगल पांडे ने यहां तक कह डाला कि केंद्रीय टीम का मानना है कि बिहार में हुए काम काफी सराहनीय है. लेकिन यह पूरी तरह से बेबुनियाद और मनगढ़ंत बयान था. दरअसल, केंद्रीय टीम के द्वारा स्वास्थ्य विभाग को तकरीबन 10 पन्नों की आर्डर कॉपी दी गई है. जिसमें कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए दिशा-निर्देश हैं. ईटीवी भारत के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार केंद्रीय टीम का नेतृत्व कर रहे हैं लव अग्रवाल ने इसकी जानकारी बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार और केंद्रीय राज्य स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे को भी दी.
केंद्रीय टीम द्वारा दिए गए आर्डर :
- केंद्रीय टीम ने बिहार की स्थिति पर चिंता जाहिर की.
- बिहार घनी आबादी वाला प्रदेश है, जिसके कारण बेंगलुरु और मुंबई के तर्ज पर काम करने की सलाह दी गई.
- केंद्रीय टीम का मानना है कि सिर्फ सीनियर रेजिडेंट के भरोसे इलाज संभव नहीं है.
- जूनियर डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ को भी इस संक्रमण से लड़ने के लिए पूरी तरह से ट्रेन्ड किया जाए.
- मरीज को देखने वाले डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई किट पर्याप्त संख्या में हमेशा उपलब्ध कराया जाए.
- राज्य के सभी सरकारी जांच घरों में जांच की क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया गया.
- केंद्रीय टीम का मानना है कि अधिक से अधिक जांच आरटीपीएस यानी मशीन के माध्यम से ही किया जाए.
- संक्रमित मरीजों की पूरी जानकारी जरूर दर्ज की जाए.
- केंद्रीय टीम का मानना है कि बिहार में संक्रमण का चेन सरकार के निगरानी में नहीं है.
- संक्रमित मरीजों की पूरी जानकारी लेकर संक्रमण के चेन की पहचान करनी बेहद जरूरी है.
बिहार दौरे पर आई थी केंद्रीय स्वास्थ्य टीम - अस्पताल में भर्ती होने वाले सभी मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री जरूर दर्ज किया जाए.
- कंटेनमेंट जोन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
- बिहार के कंटेनमेंट जोन में सख्ती से नियम का पालन करना चाहिए.
- केंद्रीय टीम का नेतृत्व कर रहे लव अग्रवाल ने हर घर किए जा रहे हैं जांच पर भी गंभीर सवाल उठाया है.
- केंद्रीय टीम का मानना है कि अभी 300 घरों पर एक टीम काम कर रही है जो बहुत ही अपर्याप्त है.
- इससे हर घर की मॉनिटरिंग सही समय पर नहीं हो पा रहा जिसके कारण संक्रमित मरीजों और गंभीर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
- अग्रवाल ने कहा है कि टीम की संख्या बढ़ाई जाए और कम से कम हर 2 से 3 दिनों में घर-घर जाकर के जांच संभव किया जाए.
- गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों की पहचान बेहद जरूरी है.
- राज्य सरकार के पास गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों का आंकड़ा होना बेहद जरूरी है.
- अस्पतालों में वेंटीलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर अति आवश्यक है.
- लव अग्रवाल ने कहा कि अगर पर्याप्त संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध रहे तो मरीज की स्थिति काफी हद तक सुधारी जा सकती है.
- केंद्रीय टीम ने मुंबई के धारावी का उदाहरण देते हुए टेंपरेरी अस्पताल बनाने का निर्देश दिया है.
- राज्य में कोविड-19 अस्पतालों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया गया है.
- स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अस्पतालों पर न जाने करने के लिए कहा गया है.
- राज्य में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की जरूरत केंद्रीय टीम ने बताई है.
- सोशल मीडिया पर बीमार और अस्पताल से जुड़ी वीडियो पर भी निगरानी रखने की जरूरत है.
- केंद्रीय टीम ने इसके लिए एक टीम बनाकर काम करने का निर्देश दिया है.
- फील्ड में काम कर रहे अफसरों को अधिक से अधिक ट्रेनिंग देने की जरूरत है.
- आम जनता को भी इस संक्रमण से होने वाले नुकसान और कैसे बचाव किए जाए इस पर लगातार जागरूक किया जाये.
रविवार को दिल्ली लौटी टीम
केंद्रीय टीम पिछले सोमवार को दिल्ली लौट चुकी है. इसके बाद से ही लगातार स्वास्थ्य विभाग कई नए काम किए जा रहे हैं. सबसे पहले एनएमसीएच में पटना कमिश्नर संजय अग्रवाल पहुंचकर कई नए दिशा-निर्देश दिए. 5 महीने के बाद स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने एनएमसीएच का पहली बार दौरा किया. हालांकि एनएमसीएच के दौरे के दौरान उन्हें मरीज के परिजनों का रोष भी झेलना पड़ा.
खडे़ हो रहे कई गंभीर सवाल
बता दें कि खबर यह भी है कि जल्द ही पटना के ज्ञान भवन में टेंपरेरी अस्पताल बनाया जा रहा है. लेकिन सवाल यह है कि जो स्वास्थ्य मंत्री लगातार हालात नियंत्रण में होने का दावा कर रहे हैं आखिरकार केंद्रीय टीम को बिहार की धरती पर उतरना ही क्यों पड़ा ? वर्चुअल रैली में व्यस्त रहने वाले स्वास्थ्य मंत्री आखिरकार 5 महीने के बाद एनएमसीएच अस्पताल क्यों पहुंचे ? कोरोना संक्रमण के बीच में तैनात हुए स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत ने आज तक मीडिया में आकर राज्य की जनता को संक्रमण के हालात से अवगत क्यों नहीं कराया है?