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'आरजेडी को पार्टी कार्यालय के लिए बगल की जमीन देना संभव नहीं'

आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने पत्र लिखकर सरकार से पार्टी कार्यालय के लिए बगल की जमीन देने की मांग की है. इस पर भवन निर्माण मंत्री ने साफ कह दिया है कि जमीन देना संभव नहीं है.

आरजेडी कार्यालय
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Published : Sep 3, 2021, 4:41 PM IST

पटनाः आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) ने पत्र लिखकर आरजेडी कार्यालय (RJD Office) के लिए सरकार से और जमीन देने की मांग की है. पार्टी कार्यालय के लिए जमीन मांगने का मामला अब तूल पकड़ रहा है. भवन निर्माण विभाग पहले ही आरजेडी की इस मांग को खारिज कर चुका है. जगदानंद सिंह ने सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को पत्र लिखकर न्यायोचित फैसला लेने की बात कही है. इस पर भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी (Building Construction Minister Ashok Chaudhary) ने साफ-साफ कह दिया है कि जमीन देना संभव नहीं है.

यह भी पढ़ें- जगदानंद सिंह ने CM को लिखा पत्र, RJD ऑफिस के लिए मांगी बगल की जमीन

'जमीन देना संभव नहीं है. जगदानंद सिंह ने जिस आधार पर जमीन की मांग की है, वह न्यायोचित नहीं है. 2005 से पहले सरकार की ओर से पार्टी कार्यालय देने की व्यवस्था नहीं थी. लेकिन 2005 के बाद कानून बनाकर बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी को पार्टी कार्यालय देने का फैसला लिया गया. उस समय जदयू सबसे बड़ी पार्टी थी. 88 विधायक थे. बीजेपी 55 और आरजेडी के 54 विधायक थे. उस समय तो जदयू ने अधिक जमीन नहीं लिया था. इसलिए यह मांग सही नहीं है. ऐसे भी जिस जमीन की बात आरजेडी की तरफ से हो रही है, वह हाईकोर्ट पूल की है और उस पर पहले से डिसीजन हो चुका है.'-अशोक चौधरी, भवन निर्माण मंत्री

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भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा है कि केवल विधायकों की संख्या के आधार पर यदि जगदानंद सिंह पार्टी कार्यालय के लिए जमीन मांग रहे हैं, तो यह सही नहीं है. जिस जमीन की बात जगदानंद सिंह ने पत्र लिखकर की है, वह हाईकोर्ट पूल की है. इनके पत्र आने से पहले ही उस पर काम चल रहा है. उसे तोड़कर नया भवन बनाने के लिए प्राक्कलन बनाया जा रहा है. इसलिए उसमें हम लोग कुछ कर ही नहीं सकते हैं.

अशोक चौधरी ने कहा, इस मामले में हमारे नेता ज्यादा उदार हैं. 2005 से पहले बिहार में राजनीतिक दलों को कार्यालय देने का कोई प्रावधान नहीं था. सरकार ने कानून बनाकर इस संबंध में फैसला लिया और उसी के हिसाब से उस समय के प्रमुख तीन दल आरजेडी, बीजेपी और जदयू को कार्यालय मिला. विधायकों की संख्या को लेकर उदाहरण भी दिया कि उस समय सबसे बड़ी पार्टी जदयू थी. 88 विधायक थे लेकिन जदयू ने बड़ा कार्यालय नहीं लिया था. इसलिए इस आधार पर पार्टी के लिए बड़े कार्यालय की मांग सही नहीं है.

अशोक चौधरी ने यह भी कहा कि 5 साल में सभी दल चुनाव में जाते हैं और यदि विधायकों की संख्या घटती-बढ़ती रहे, उसी हिसाब से जमीन और पार्टी कार्यालय तय किया जाए. तो यह करना संभव नहीं हो पाएगा. अब लोजपा को भी कार्यालय मिला है, आज संख्या घट गई तो कार्यालय का एरिया तो नहीं घटाया जा सकता है. कल संख्या बढ़ जाएगी तो एयरपोर्ट तक तो हम एक्सटेंशन नहीं कर सकते हैं.

अशोक चौधरी ने कहा कि जगदानंद सिंह लंबे समय तक सरकार में रहे हैं. उनके साथ मैं भी काम कर चुका हूं. वे न्यायप्रिय हैं. उनको कानून के बारे में पता है. ऐसे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप करना है तो वह अलग बात है.

जमीन मांगने को लेकर आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा था कि जेडीयू प्रदेश कार्यालय करीब 60000 स्क्वायर फीट में बना है, जबकि बीजेपी का प्रदेश कार्यालय भी 50000 स्क्वायर फीट से ज्यादा क्षेत्रफल में है. वहीं राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश कार्यालय के लिए जगह काफी कम पड़ रही है, क्योंकि यहां महज 20000 स्क्वायर फीट में ही काम चलाया जा रहा है.

जगदानंद सिंह ने कहा था कि जगह कम पड़ने के कारण ही उन्होंने आरजेडी प्रदेश कार्यालय के बगल की खाली पड़ी जमीन, जो 14000 स्क्वायर फीट की है, उसे उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है.

बता दें कि वीरचंद पटेल पथ में ही जदयू, आरजेडी और बीजेपी का कार्यालय है. जदयू का कार्यालय पिछले साल भव्य तरीके से तैयार किया गया है और बड़ा भी है. आरजेडी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है. 75 विधायक हैं. बीजेपी का कार्यालय भी कमोबेश जदयू कार्यालय के बराबर है. जबकि विधायकों की बात करें तो बीजेपी के 74 विधायक हैं और जदयू के 43. आरजेडी को यही खटक रहा है. लेकिन जिस प्रकार से भवन निर्माण मंत्री ने जमीन देने से इनकार किया है, उससे साफ लग रहा है कि इस पर सियासत बढ़ेगी.

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