पटना:सुप्रीम कोर्ट में बीएड अभ्यर्थियों की रिट याचिकापर मंगवार को सुनवाई होगी. बीएड अभ्यर्थियों का मामला अब चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के बेंच पर है. पिछली बार 13 अक्टूबर को अभ्यर्थियों की रिट याचिका पर जस्टिस एएस बोपन्ना और एम. सुंदरेश की बेंच में सुनवाई हुई थी. जहां बीएड अभ्यर्थियों का पक्ष रख रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण और निशा तिवारी ने कोर्ट को बताया था कि कोर्ट के इसी फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में भी पहले से चल रही बहाली प्रक्रिया में प्राथमिक शिक्षकों की बहाली में बीएड अभ्यर्थियों को शामिल किया गया था.
वकीलों ने कोर्ट को बताया था कि इसी तरह बिहार में भी शिक्षक बहाली की प्रक्रिया फैसला आने के पहले से चल रही है. इसलिए इन्हें भी प्राथमिक शिक्षक बहाली प्रक्रिया शामिल किया जाए. छत्तीसगढ़ वाले मामले के जजमेंट की कॉपी भी कोर्ट में पेश की गई. बेंच ने पूरी दलील सुनने के बाद केस को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया था. वहीं अब आज यानी 31 अक्टूबर को इस मामले में सुनवाई होनी है. याचिकाकर्ता दीपांकर गौरव ने बताया कि उन्होंने कोर्ट से कहा था कि इस मामले की सुनवाई उसी बेंच में होनी चाहिए, जहां बीएड कैंडिडेट को लेकर आदेश आया था.
जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने क्या फैसला लिया था?:बता दें कि जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने ही राजस्थान मामले पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया था कि डीएलएड पास अभ्यर्थी ही प्राथमिक में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने के योग्य होंगे. रिट याचिका दायर करने वाले मुख्य याचिकाकर्ता दीपांकर गौरव और मीकू पाल की दलील है कि बिहार लोक सेवा आयोग के नोटिफिकेशन की शर्तों के अनुसार ही बीएड अभ्यर्थियों ने शिक्षक बनने के लिए आवदेन किया था लेकिन अब उनका रिजल्ट जारी नहीं किया गया है.
कक्षा 1 से 5 के लिए बीएड अभ्यर्थी योग्य नहीं:दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 3 लाख 90 हजार अभ्यर्थियों का रिजल्ट पेंडिंग हो गया है. बीपीएससी ने सिर्फ डीएलएड पास उम्मीदवारों का प्रारंभिक में कक्षा 1 से 5 के लिए रिजल्ट जारी किया है. दीपांकर गौरव ने कहा है कि बीपीएससी ने बीएड अभ्यर्थियों के साथ धोखा किया है. जब मामला सुप्रीम कोर्ट में था, उससे पहले रिजल्ट जारी नहीं किया जाना चाहिए था.