संजय जायसवाल और उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात पटना: जेडीयू से नाराजगी के वक्त से यह कहा जा रहा है किउपेंद्र कुशवाहा की राजनीति बीजेपी की ओर घूम रही है. हालांकि अब उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी जरूर बना ली है लेकिन बीजेपी से उनकी नजदीकियां अभी भी चर्चा में बनी हुई है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात ने एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है. बिहार की सियासत में उपेंद्र कुशवाहा की नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल को लेकर चर्चाएं जारी है.
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संजय जायसवाल और उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात:सोमवार को उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी की घोषणा से पहले बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की थी. वहीं मंगलवार को कुशवाहा ने बयान देते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को विपक्ष से कोई चुनौती मिलने वाली नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा के बयान से साफ है कि वे बीजेपी से अपने संबंध गहरे करना चाहते हैं. इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर पहुंचकर उनसे बंद कमरे में गुफ्तगू कर रहे हैं. अब देखना यह है कि बिहार की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है.
बंद कमरे में गुप्तगू: दरअसल महागठबंधन के साथ जाकर जब सीएम नीतीश ने सरकार बनाया था तो उपेंद्र कुशवाहा को यकीन था कि डिप्पी सीएम का पोस्ट उनको मिलेगा लेकिन नीतीश कुमार ने उनके मनसूबों पर पानी फेरते हुए तेजस्वी को मौका दिया. इसके बाद से उपेंद्र कुशवाहा लगातार जेडीयू और नीतीश कुमार पर हमलावर रहे और बीजेपी से उनकी नजदीकियां बढ़ती चली गई. अभी तक कुशवाहा ने जितने भी बयान दिए हैं उसमें बीजेपी की प्रशंसा है. ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा के भारतीय जनता पार्टी को दिए जा रहे अप्रत्यक्ष समर्थन का ये असर माना जा सकता है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल उनसे मिलने उनके आवास पर पहुंचे हैं.
बोले आरजेडी प्रवक्ता- 'मुलाकात पर कोई आश्चर्य नहीं': वहीं उपेंद्र कुशवाहा और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल की मुलाकात के बाद राजद ने प्रतिक्रिया दी है. पार्टी का कहना है कि इन दोनों की मुलाकात पर कोई आश्चर्य नहीं है. पार्टी के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि यह डील पहले से ही हो रखी थी. उपेंद्र कुशवाहा लगातार दिल्ली की यात्रा कर रहे थे. उपेंद्र कुशवाहा की साख समाज में कहां बची है? उपेंद्र कुशवाहा शहीद जगदेव प्रसाद के सपनों को उन्मादी पार्टियों के साथ मिलकर चकनाचूर करने चले हैं, ऐसी पार्टी जो संविधान को नहीं मानती है.
राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव "2010 में उपेंद्र कुशवाहा चरण वंदना करके राज्यसभा में गए. 2007 में एनसीपी में थे. 2013 में रालोसपा का गठन कर लिया और फिर बीजेपी को लात मारकर वापस आ गए. उसके बाद फिर उन्होंने नीतीश कुमार की चरण वंदना की और फिर यह पिछले एक महीने से स्वांग रच रहे थे. कुशवाहा हिस्सा मांगने चले थे. लोगों को यह समझ में आ गया कि यह व्यक्ति कितना महत्वाकांक्षी है? क्या समाज ऐसे लोगों को स्वीकार करता है? बिहार की जनता सामाजिक न्याय को पसंद करती है. ऐसे लोग कभी अपने मिशन में कामयाब नहीं होंगे. यह टुकड़े टुकड़े गैंग के लोग हैं."- शक्ति सिंह यादव, राजद प्रवक्ता