पटना : बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदीने नियोजित शिक्षकों के मुद्दे को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि वामदल सिर्फ घड़ियाली आंसू बहा रहा है. हिम्मत है तो उसे सरकार से समर्थन वापस मांग ले. सुशील मोदी ने कहा कि 2019 में टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र मिला है इसलिए बिना किसी परीक्षा के उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए.
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सुशील मोदी की वामपंथी दलों को चुनौती: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शिक्षक नियुक्ति की नई नियमावली के विरुद्ध आंदोलन करने वालों की जायज मांग पर सरकार-समर्थक वामपंथी दल केवल घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. यदि हिम्मत है, तो वामपंथी दल शिक्षकों की मांग के मुद्दे पर नीतीश सरकार से समर्थन वापस लेने का निर्णय करें.
''सरकार नियोजित शिक्षकों की बात सुनने के बजाय उन्हें धमका रही है. 2019 में टीईटी उत्तीर्ण कर नियुक्ति पत्र की प्रतीक्षा करने वाले हजारों अभ्यर्थियों को सरकार धोखा दे रही है. इन्हें अब तक केवल आश्वसन देकर बहलाया जाता रहा है और बीपीएससी का रास्ता दिखाया जा रहा है. 4 लाख नियोजित शिक्षकों को बिना किसी परीक्षा के राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाना चाहिए''- सुशील मोदी, राज्यसभा सांसद, बीजेपी
'4 लाख शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दे सरकार': सुशील मोदी ने कहा कि जिन अभ्यर्थियों ने बीएड किया और टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण किया उन्हें सरकारी शिक्षक बनने के लिए बीपीएससी के जरिये तीसरी बार परीक्षा पास करने को बाध्य किया जा रहा है, जो कि अन्यायपूर्ण है. सुशील मोदी ने कहा कि 4 लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों को बिना किसी परीक्षा के राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाना चाहिए. इनका नियोजन सरकार की ओर से तय प्रक्रिया के अनुसार हुआ है. उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों को सरकार की गलत नीतियों के विरुद्ध आंदोलन का अधिकार है, लेकिन वे छात्रों की पढाई बाधित किये बिना अपना विरोध शांतिपूर्ण रखें.