पटना:भारत में जनगणना (Census in India) की सुगबुगाहट शुरू होते ही जातिगत जनगणना (Caste Census) का जिन्न बाहर निकल आता है. एक बार फिर जातिगत जनगणना के जरिए पिछड़ा राजनीति साधने की तैयारी की जा रही है. राजद (RJD) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) जातिगत जनगणना को लेकर कई बार सड़कों पर उतर चुके हैं. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) भी जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में हैं.
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बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) से सर्वसम्मत प्रस्ताव केंद्र सरकार (Central Government) को भेजा जा चुका है, लेकिन जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र ने स्थिति स्पष्ट कर दी है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सदन में कहा है कि जातिगत जनगणना वर्तमान स्थिति में संभव नहीं है. सिर्फ एससी और एसटी की जनगणना कराई जा सकती है.
देश के राजनीतिक दलों ने जातिगत जनगणना को राजनीति का हथियार बना लिया है. नेता लगातार इसलिए जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं, ताकि वो जाति की राजनीति साध सकें. लेकिन, बीजेपी तो जातिगत राजनीति से परे है. पार्टी शुरू से ही धर्म की राजनीति करती रही है. जातिगत जनगणना को लेकर बीजेपी और जदयू आमने-सामने हैं. जदयू जहां जातिगत जनगणना कराए जाने की वकालत कर रही है, वहीं बीजेपी को जातिगत जनगणना से एतराज है.
जातिगत जनगणना को लेकर बिहार विधानसभा से सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया. बीजेपी नेता सुशील मोदी ने भी जातिगत जनगणना की पुरजोर वकालत की थी, लेकिन केंद्र की बीजेपी की इकाई जातिगत जनगणना के खिलाफ है.