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जातिगत जनगणना पर रार! BJP और JDU में राजनीतिक हितों को लेकर टकराव

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Published : Jul 21, 2021, 6:49 PM IST

बिहार की राजनीति (Bihar Politics) जातिगत वोट बैंक के इर्द-गिर्द घूमती है. पिछड़ा और दलित राजनीति करने वाले नेता पिछले कुछ समय से जातिगत जनगणना (Caste Census) की मांग कर रहे हैं. जातिगत जनगणना को लेकर एनडीए (NDA) के घटक दल बीजेपी (BJP) और जदयू (JDU) आमने-सामने है. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना
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पटना:भारत में जनगणना (Census in India) की सुगबुगाहट शुरू होते ही जातिगत जनगणना (Caste Census) का जिन्न बाहर निकल आता है. एक बार फिर जातिगत जनगणना के जरिए पिछड़ा राजनीति साधने की तैयारी की जा रही है. राजद (RJD) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) जातिगत जनगणना को लेकर कई बार सड़कों पर उतर चुके हैं. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) भी जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में हैं.

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बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) से सर्वसम्मत प्रस्ताव केंद्र सरकार (Central Government) को भेजा जा चुका है, लेकिन जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र ने स्थिति स्पष्ट कर दी है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सदन में कहा है कि जातिगत जनगणना वर्तमान स्थिति में संभव नहीं है. सिर्फ एससी और एसटी की जनगणना कराई जा सकती है.

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देश के राजनीतिक दलों ने जातिगत जनगणना को राजनीति का हथियार बना लिया है. नेता लगातार इसलिए जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं, ताकि वो जाति की राजनीति साध सकें. लेकिन, बीजेपी तो जातिगत राजनीति से परे है. पार्टी शुरू से ही धर्म की राजनीति करती रही है. जातिगत जनगणना को लेकर बीजेपी और जदयू आमने-सामने हैं. जदयू जहां जातिगत जनगणना कराए जाने की वकालत कर रही है, वहीं बीजेपी को जातिगत जनगणना से एतराज है.

जातिगत जनगणना को लेकर बिहार विधानसभा से सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया. बीजेपी नेता सुशील मोदी ने भी जातिगत जनगणना की पुरजोर वकालत की थी, लेकिन केंद्र की बीजेपी की इकाई जातिगत जनगणना के खिलाफ है.

''जातिगत जनगणना हमारी पुरानी मांग है और विकास योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए जातिगत जनगणना जरूरी है. भविष्य में सरकार को जातिगत जनगणना कराने को लेकर विचार करना चाहिए.''- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

''जातिगत जनगणना को लेकर यूपीए के समय से ही बहस जारी है. अभी फिलहाल जातिगत जनगणना को लेकर सरकार की राय स्पष्ट है, लेकिन भविष्य में अगर सहमति बनती है तो विचार किया जा सकता है. जातिगत जनगणना को लेकर बीजेपी और जदयू में कोई विवाद नहीं है.''- डॉ.राम सागर सिंह, बीजेपी प्रवक्ता

''जातिगत जनगणना राजनीतिक दलों का हथियार है. क्षेत्रीय दल जातिगत जनगणना की वकालत इसलिए करते हैं कि उन्हें वोट बैंक की राजनीति करनी है. इधर, बीजेपी धर्म की राजनीति करती है. ऐसे में राजनीतिक हितों के टकराव की स्थिति बन चुकी है. पिछड़ी राजनीति करने वाले नेताओं को जातिगत जनगणना फायदा पहुंचा सकता है, जबकि बीजेपी सैद्धांतिक रूप से जातिगत जनगणना के खिलाफ है.''- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

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बता दें कि भारत में पहली बार जातिगत जनगणना 1831 में कराई गई थी. उसके बाद 1931 में जातिगत जनगणना हुई थी. 1930 की जनगणना के आधार पर ही आरक्षण का प्रतिशत तय किया गया था. 2011 में जब जनगणना कराई जा रही थी, तब भी जोर शोर से राजनीतिक दलों ने जातिगत आधार पर जनगणना की वकालत की थी, लेकिन जातिगत जनगणना नहीं हो पाई.

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