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उचित दाम नहीं मिलने से आलू की खेती करने वाले सैकड़ों किसान परेशान, सरकार से मदद की गुहार - Potato sowing along the Son River

बिहटा में आलू की खेती कर रहे हज़ारों किसान को उचित दाम न मिलने से परेशान हैं. उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. किसानों का कहना है कि यूपी और बंगाल के आलू आ जाने के चलते उन्हें खरीददार नहीं मिल पा रहा है.

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Published : Feb 25, 2021, 8:47 PM IST

Updated : Feb 25, 2021, 8:52 PM IST

पटना:एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार किसानों की हित के बारे में बात करती है. उनके लिए कई तरह की योजनाएं चलाती हैं. लेकिन इन योजनाओं केबावजूद किसान आज परेशान हैं. उन्हें अपने फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा है. जिस कारण वे एक बार फिर हताश और निराश होकर सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

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मौसम ने दिया किसानों को धोखा
राजधानी पटना से सटे बिहटा प्रखंड में आलू की खेती करनेवाले किसानों को इस साल मौसम ने दगा दे दिया है. जिस आलू कीमत पिछले साल 1500 रुपये क्विंटल थी. वो इस साल 800 रुपये क्विंटिल में बिक रही है. जिससे किसानों की लगात निकलना भी मुश्किल हो गया है.

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नहीं मिल रहा कोई खरीददार
दरअसल, पिछले साल इलाके में ज्यादा बारिश होने से आलू की बुआई देर से हुई थी. जिससे बाजार में सोन नदी किनारे पैदा होने वाले आलू के आने के पहले यूपी और बंगाल से आलू का आना शुरू हो गया. अब यहां के किसानों को आलू के खरीददार नहीं मिल रहें हैं. इनके फसल की कीमत व्यपारी पिछले साल की तुलना में आधे से भी कम लगा रहे हैं. जिस कारण सोन नदी के किनारे बसे इन किसानों को अब अपना लागत भी निकाला मुश्किल हो रहा है.

नहीं मिल रहा कोई खरीददार

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बिहटा में होती है आलू की ज्यादा खेती
बिहटा के सोन नदी तटीय इलाके के गांवों में आलू इन किसानों का प्रमुख फसल है. सोन नदी के किनारे होने के कारण यहां की मिट्टी लाल है. साथ ही मिट्टी में नमीं होने के चलते यहां पैदा होने वाले आलू का स्वाद लाजवाब होता है. जिस कारण यहां के किसान हर साल आलू में अपनी मेहनत और पूंजी दोनों खुल कर लगाते हैं. यही नहीं आलू का बीज भी इस बार किसानों ने महंगे दामों पर लिया था.

800 रुपये प्रति क्विंटिल बिक रहा आलू

दाम सही नहीं मिलने से किसान हताश
वहीं, इस मामले में बिहटा के कौड़िया गांव के किसान कहते हैं,'इस साल मंहगे दाम में आलू का बीज खरीदा था. लेकिन अब तो लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है. फसल के दाम को देखकर तो सदमा लग गया है. बेटियों की शादी, घर का काम, बेटे की पढ़ाई हम किसान इन्हीं फसलों के पैदावार से हुए कमाई से करते हैं. जब दाम ही सही नहीं मिलेगा तो घर कैसे चलेगा'.

उचित दाम नहीं मिलने से किसान हताश

इस बार लागत भी निकल जाए तो बहुत है
किसानों ने कहा कि पिछले बार तो लाभ हुआ था. फसल भी ठीक-ठाक दाम में बिक गई थी. पिछले साल एक एकड़ में चालीस हजार रुपए मुनाफा कमाया था. इस साल बीस हजार रुपये भी मिल जाय तो बहुत है. उन्होंने कहा कि पिछले महीने तक बाजार में आलू चालीस रुपये किलो था. वहीं, अब आलू आठ रुपये किलो में बिक रहा है.

आलू निकालते किसान
गौरतलब हो कि राज्य सरकार ने बाजार समिति को भंग कर दिया है. आलू रखने का जो बोरा पंद्रह रुपये का मिलता था. अब किसान उसे तीस रुपये में खरीद रहें हैं. कौड़िया में अकेले दो सौ बीघे में आलू की खेती होती है. बिहटा में कुल मिलाकर सोन तटीय गांवों में बिंदौल, महुआर, घोडाटाप, केल्हानपुर,में लगभग दो सौ एकड़ से अधिक की भूमि पर आलू की खेती होती है. सरकार के लाख दावों के बावजूद किसानों की यह हालत जमीनी हकीकत बयां कर रही है.
Last Updated : Feb 25, 2021, 8:52 PM IST

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