पटना:ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि बिहार सरकार की झांकी रिजेक्ट हुई है. इससे पहले भी छह बार बिहार सरकार की थीम को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया था. ये लगातार सातवीं बार होगा जब राजपथ पर बिहार की झांकी प्रदर्शित नहीं होगी.
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दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में नहीं दिखेगी बिहार की झांकी: पहले भी नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर ही झांकी की थीम भेजी गई थी, जिसे केंद्र सरकार की ओर से रिजेक्ट किया गया. इसको लेकर बिहार में सियासत शुरू हो गई है. सत्ताधारी दल के नेता बीजेपी की केंद्र वाली सरकार पर बिहार की उपेक्षा और सौतेला व्यवहार का आरोप लगा रहे हैं.
बीजेपी का आरोप- 'झांकी के जरिए प्रचार की कोशिश': वहीं बीजेपी का कहना है की झांकियों के माध्यम से राज्य सरकार प्रचार करने की कोशिश कर रही है,तो झांकी कैसे स्वीकृत होगी? राष्ट्रीय सोच की झांकी भेजनी चाहिए लेकिन नीतीश कुमार नालंदा से बाहर निकल ही नहीं पा रहे हैं.
गयाजी रबड़ डैम प्रोजेक्ट पर थी थीम:नीतीश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है फल्गु नदी पर बनाया गया गयाजी रबड़ डैम 1300 करोड़ से अधिक की लागत से तैयार हुआ है. इसकी खूब चर्चा भी होती है क्योंकि इसके बनने से पितृतर्पण करने देश दुनिया से पहुंचे लोगों को पानी की समस्या से मुक्ति मिली है. पहली बार विष्णुपद मंदिर की घाट पर लोगों ने छठ व्रत भी मनाया था.
विशेषज्ञों की टीम ने किया रिजेक्ट: पिछले दिनों इसी गयाजी रिवर डैम थीम पर झांकी के लिए केंद्र सरकार को प्रोजेक्ट भेजा गया था लेकिन केंद्र सरकार की विशेषज्ञ टीम ने इसे रिजेक्ट कर दिया है. लेकिन यह पहली दफा नहीं हो रहा है. पिछले साल भी बिहार के झांकी का प्रोजेक्ट रिजेक्ट कर दिया गया था. यह लगातार सातवीं बार होगा जब बिहार की झांकी गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर नहीं दिखेगी.
"यूनाइटेड नेशन तक ने तारीफ की है. नीतीश कुमार को यूनाइटेड नेशन के राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में क्लाइमेट लीडर कहा जाता है लेकिन राजनीतिक ईर्ष्या से बिहार की झांकी को सेलेक्ट नहीं किया जा रहा है. क्या धार्मिक उन्माद की झांकी दिखलाई जाएगी. जिस प्रोजेक्ट की दुनिया की सबसे बड़ी संस्था तारीफ कर रही है, उस थीम की झांकी सलेक्ट नहीं होना यह नाइंसाफी है."- नीरज कुमार, जदयू प्रवक्ता
"बिहार के साथ केंद्र सरकार शुरू से उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाती रही है. 7 साल पहले तो बिहार की झांकी सेलेक्ट होती थी."- लेसी सिंह खाद्य आपूर्ति मंत्री, बिहार
"झांकी के माध्यम से प्रचार करने की कोशिश की जाएगी तो केंद्र सरकार कैसे झांकियों को स्वीकृत करेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री की सोच राष्ट्रीय स्तर की नहीं है. नीतीश कुमार तो नालंदा से बाहर निकल ही नहीं पा रहे हैं."-अरविंद सिंह, प्रवक्ता बीजेपी
"केंद्र में एनडीए की सरकार बने इसके लिए बिहार की जनता ने 40 में से 39 सीट जीत कर दिया था. लेकिन बिहार के साथ लगातार उपेक्षा पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है. बिहार को अपमानित किया जा रहा है. चुनाव में जनता बदला लेगी."- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता आरजेडी
बिहार के ये थीम केंद्र को नहीं आए पसंद अब तक रिजेक्ट की गई थीम : सात सालों में बिहार सरकार की सात थीम रिजेक्ट हुई है. 2017 में विक्रमशिला जैसे प्राचीनतम शैक्षणिक संस्थान की थीम पर भेजे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था. वहीं 2018 में छठ जैसे लोकआस्था के महापर्व पर भेजी गयी झांकी को भी अस्वीकृत कर दिया गया था. 2019 में शराबबंदी की थीम पर भेजी गयी झांकी को स्थान नहीं मिला. वर्ष 2021 व 2020 में जल जीवन हरियाली पर भेजी गई झांकी थीम को भी रिजेक्ट कर दिया गया. 2022 के गणतंत्र दिवस समारोह के लिए भेजी गयी झांकी के प्रस्ताव का थीम “गांधी के पदचिह्नों पर अग्रसर ‘‘बिहार’’ था, जिसे खारिज कर दिया गया. 2023 के लिए फल्गु नदी पर गयाजी डैम पर भेजी गई थीम भी खारिज कर दी गई.
बिहार में महागठबंधन की सरकार है लेकिन इससे पहले एनडीए की सरकार में भी केंद्र सरकार ने बिहार की झांकियों को सिलेक्ट नहीं किया था. उस समय भी बिहार की उपेक्षा का आरोप केंद्र सरकार पर लगा था. जदयू भी दबे जुबान से बिहार की झांकियों को सिलेक्ट नहीं करने पर अपनी नाराजगी जताती रही है. क्योंकि नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर ही बिहार का सूचना जनसंपर्क विभाग झांकी की थीम भेजता रहा है.