पटना:बिहार की झांकी इस बार भी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड में नहीं (Bihar Tableau Not Included in Republic Day Parade) दिखेगी. यह कोई पहला मौका नहीं है, पिछले सात साल से 26 जनवरी को दिल्ली में होने वाली परेड में बिहार की झांकी प्रदर्शित नहीं की जा रही है. पिछली झांकी 2016 के गणतंत्र दिवस परेड में नजर आई थी और उस समय इसकी थीम '1917 के चंपारण आंदोलन' पर थी.
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इस बार गया के रबर डैम की थीम पर भेजा गया था झांकी का प्रस्तावः पिछले साल 2021 में 'गांधी के पद चिह्नों पर अग्रसर बिहार' की थीम को परेड के लिए झांकियों का चयन करने वाली चयन समिति ने खारिज कर दिया था. जबकि इस बार गया में बने रबर डैम की थीम पर झांकी को बिहार की ओर से भेजा गया था, लेकिन चयन समिति ने प्रस्तावित झांकी को गणतंत्र दिवस परेड के लिए जरूरी मानदंडों को पूरा नहीं करने का हवाला देते हुए खारिज कर दिया है.
चयन समिति में होते हैं अलग-अलग फिल्ड के विशेषज्ञ: बताया गया कि कला और संस्कृति के अलग-अलग विषयों में एक्सपर्ट लोगों की एक विशेषज्ञ समिति परेड के लिए झांकी का चयन करती है. वहीं अगर बात करें तो रक्षा मंत्रालय अप्रूवल से पहले झांकियों के डिजाइन, थीम, और विजुअल इंपैक्ट के आधार पर प्रस्ताव की जांच करती है.बिहार सरकार की ओर से इस बार नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाले परेड के लिए बिहार सरकार ने देश में सबसे लंबे रबड़ डैम की थीम पर झांकी का प्रपोजल कला संस्कृति मंत्रालय को भेजा गया था, लेकिन मंत्रालय की ओर से यह खारिज कर दिया गया है.
2016 में अंतिम बार दिखी थी बिहार की झांकी: लगातार सातवां साल है जब बिहार की कोई झांकी कर्तव्य पथ पर होने वाले गणतंत्र दिवस परेड में नहीं दिखेगी. 2021 में गांधी के पद चिह्नों पर अग्रसर बिहार, 2020 में जल जीवन हरियाली मिशन, 2019 में शराबबंदी, 2018 में छठ पर्व और 2017 में विक्रमशिला एक प्राचीन शैक्षणिक केंद्र के विषय पर झांकियों की थीम बिहार की ओर से भेजी गई थी. इसे केंद्र की ओर से रिजेक्ट किया गया था. 2016 के परेड में आखिरी बार बिहार सरकार की झांकी नजर आई थी. इसमें थीम 1917 का चंपारण आंदोलन था.