पटना:बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ ने सरकार के सक्षमता परीक्षा का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. संघ ने कहा कि सरकार सिर्फ अपने जिद को पूरा करने के लिए सक्षमता परीक्षा के लिए बातें कर रही है. जिसका संघ कर विरोध कर रहा है. यदि शिक्षकों को परीक्षा में शामिल होने के लिए बाध्य किया जाता है तो हम लोग आंदोलन करेंगे. सरकार से मांग की है कि बिना शर्त अविलंब राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए.
सक्षमता परीक्षा का बहिष्कार :प्रारंभिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि जितने भी स्थानीय निकाय से नियोजित हुए शिक्षक हैं, सभी को सीधे राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए. शिक्षकों का वेतनमान एक बराबर रखा जाए. बीपीएससी चयनित हुए शिक्षक और नियोजित शिक्षकों में किसी प्रकार का कोई फर्क नहीं रखा जाए. उन्होंने कहा कि पहले से ही सरकार ने सभी शिक्षकों का प्रशिक्षण कर दिया है. सभी बीटेट, सीटेट और विभिन्न पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण है.
राज्यकर्मी के दर्जा देने की मांग : उन्होंने कहा कि सरकार ने पूर्व में ही दक्षता परीक्षा ले चुकी है. जो इसमें सफल हुए वहीं अभी के समय कार्यरत शिक्षक हैं. शिक्षकों का जो नियोजन हुआ था. वह 60 वर्ष की आयु के कार्यकाल तक के लिए हुआ है. ऐसे में अब जब शिक्षकों को पदोन्नति देने की बात आई है तो सरकार सक्षमता परीक्षा की बात कह रही है. शिक्षक तीन बार में उत्तीर्ण नहीं होंगे उन्हें हटा दिया जाएगा. यह शिक्षक नियमावली के विरुद्ध है. जिसका संघ कड़ा विरोध कर रहा है.
प्रदेश में हजारों विद्यालय भूमिहीन और भवनहीन:मनोज कुमार ने कहा कि सरकार कह रही है मामूली परीक्षा दी जाएगी. आखिर ये मामूली परीक्षा क्या होता है. परीक्षा मामूली ही लेनी है तो क्यों लेनी है. उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ नवनियुक्त शिक्षकों को आवास उपलब्ध कराने की बात कर रही है, लेकिन अभी भी प्रदेश में हजारों विद्यालय भूमिहीन और भवनहीन है. सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए हवा हवाई योजनाएं बना रही है और मूलभूत समस्याओं को दुरुस्त करने पर ध्यान नहीं है.