पटनाः पुलिस सेवा में अहंकार और स्वार्थ की वजह से टकराव के कई मामले आ चुके हैं. बिहार के सीनियर और जूनियर पुलिस अधिकारी आपस में उलझे हैं. कुछ मामले विभागीय जांच तक ही सीमित रहा गया, लेकिन कई ऐसे भी थे जो काफी सुर्खियां बटोरीं. पिछले 20 वर्षो में ऐसे टकराव के करीब एक दर्जन से ज्यादा मामले आये. इनमें डीजीपी और एडीजी का भी विवाद रहा है.
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डीएसपी से विवाद के बाद एसपी का तबादलाः पटना के सिटी एसपी शालीन थे. उस वक्त राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री थीं. पटना के कदमकुआं के तत्कालीन थानेदार प्रमोद कुमार थे. एक दिन वो अपने ही थाने में सिटी एसपी शालीन से उलझ गये. दोनों के बीच तकरार और गाली गलौज भी हुई. इस बात से खफा सिटी एसपी ने थानेदार के खिलाफ कार्रवाई का अनुमोदन भी किया लेकिन कुछ नहीं हो सका. सिटी एसपी दोबारा उस समय के तत्कालीन सचिवालय डीएसपी अरशद जमां से उलझे. उन्होंने अरशद जमां के खिलाफ कार्रवाई की बात कही. अरशद जमां ने जबाब दिया आप रहेंगे तब न कारवाई करेंगे. और, शाम में शालीन का तबादला हो गया.
राज भवन पहुंच गया था मामलाः राबड़ी देवी के मुख्यमंत्रित्व काल का एक मामला काफी चर्चित रहा था. विजिलेंस के अपर पुलिस महानिदेशक आशीष रंजन सिन्हा और एसपी अजय वर्मा के बीच विवाद हो गया. कहा जाता है कि अजय वर्मा मुजफ्फरपुर में दवा सप्लाई की जांच अधिकारी थे. वो इस मामले में डीएम को जांच के दायरे में लाकर छानबीन करना चाहते थे. तत्कालीन एडीजी विजिलेंस सिर्फ सिविल सर्जन को आरोपी बनाना चाहते थे. तकरार बढ़ी और मामला राज भवन पहुंच गया. जांच चल ही रही थी कि आशीष रंजन सिन्हा बिहार के डीजीपी बन गये.
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काम का श्रेय लेने को भिड़ेः बिहार में सरकार बदली. नीतीश कुमार राज्य के नये मुखिया बने. फिर भी पुलिस अधिकारियों के बीच तकरार का दौर जारी रहा. डीजीपी के रूप में आशीष रंजन सिन्हा और एडीजी अभयानंद के बीच तकरार के किस्से आम हो गये. उस समय ये दोनों अधिकारी नीतीश कुमार के चहेते थे. इसलिए दोनों अपने अपने इगो की वजह से मीडिया में सुर्खियों में रहे. इस दोनों के बीच विवाद का मूल कारण आशीष रंजन सिन्हा को खुद को डीजीपी समझना और अभयानंद खुद को ज्ञानी समझते थे. तत्कालीन डीजीपी को लगता था कि काम का सारा श्रेय अभयानंद ले जाते हैं.
डांट के डर से तबादला करवा लियाः नीतीश कुमार की सरकार में कुन्दन कृष्णन को पटना का एसएसपी बनाया गया. उन्होंने काफी हद तक अपराध पर काबू पाने में सफलता भी हासिल की, लेकिन एक कमी थी उनमें. उनका बोलने का अंदाज. कई बार पटना पुलिस के अधीनस्थ अधिकारी उनके गुस्से का शिकार बने. शायद की कोई अधिकारी होगा जो उनके गुस्से का शिकार नहीं हुआ हो. हद तो तब हो गयी जब उस समय के तत्कालीन टाउन डीएसपी को एक दिन इतनी झाड़ पड़ी कि उन्होंने कमर दर्द की शिकायत लगाकर छुट्टी का आवेदन दिया. कहा जाता है कि पैरवी कर अपना तबादला भी करवा लिया.
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डीआईजी की बात अनसुनीः आशीष रंजन सिन्हा के बाद नीलमणि बिहार के नये डीजीपी बने. नीलमणि सौम्य स्वभाव के डीजीपी थे, लेकिन उनका भी आईजी परेश सक्सेना से टकराव हो गया. परेश सक्सेना ने नीलमणि की शिकायत गृह विभाग में की थी. इसी दौरान डीजी मनोज नाथ और आरआर वर्मा के बीच का विवाद भी तूल पकड़ा था. दोनों के बीच तकरार बढ़ता गया और मामला सरकार तक जा पहुंचा था. बाद में किसी तरह मामला सुलझा. डीजीपी पीके ठाकुर और आईजी अनिल किशोर यादव के बीच विवाद भी मीडिया में आया था. आईजी अनिल किशोर पटना एम्स के कुछ अधकारियों पर कार्रवाई करना चाहते थे. डीजीपी ऐसा नहीं चाहते थे. इसी मुद्दे पर दोनों के बीच तकरार बढ़ी थी.
निगरानी की जांच में दोषीः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास रहे अभयानंद बिहार के डीजीपी बने. उस समय पटना के एसएसपी के रूप में आलोक कुमार की पोस्टिंग हुई.आलोक जम्मू कश्मीर कैडर के आईपीएस अधिकारी थे. बिहार डेपुटेशन पर आये थे. पटना के एसएसपी डीजीपी की बात नहीं सुन रहे थे. ये बात किसी डीजीपी को नागवार लगना स्वाभाविक है. तत्कालीन डीजीपी अभयानंद और आलोक कुमार के बीच तकरार बढ़ने लगी. आलोक कुमार के खिलाफ अवैध कमाई की लगातार शिकायतें मिल रही थी. अभयानंद ने आर्थिक अपराध इकाई से मामले की जांच करायी. दोषी पाये जाने के बाद आलोक कुमार को निलंबित कर दिया गया था.
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'खाकी' वाले अमित लोढ़ा भी रहे हैं विवादों मेंः बिहार के डीजीपी के रूप में एस के सिंघल के कार्यकाल में गया के तत्कालीन आईजी अमित लोढ़ा और एसएस पी आदित्य कुमार के बीच तकरार के किस्से तो हाल के हैं. दोनों अधिकारियों के बीच तकरार इतना बढ़ा कि पुलिस मुख्यालय को हस्तक्षेप करनी पड़ी. हालांकि इस तकरार से दोनों अधिकारियों की छवि धूमिल हुई. दोनों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है.
डीजी मैडम को क्यों आता है गुस्साः आखिर में बिहार राज्य गृह रक्षा वाहिनी यानी होमगार्ड दफ्तर में वर्तमान डीजी शोभा अहोतकर और विकास वैभव के बीच का विवाद एकदम ताजा है. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मैडम की डांट का आईजी विकास वैभव पहला शिकार नहीं बने हैं. इनसे पहले डीआईजी राशिद जमां और प्रेमलता डीजी मैडम के गुस्से की वजह से छुट्टी पर चले गये थे. बाद में पैरवी लगाकर अपना तबादला करा लिया था. विकास वैभव के ट्वीट ने मैडम के गुस्से को सबके सामने ला दिया.
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ऐसे हालात के लिए कौन है जिम्मेवारः बिहार के पूर्व डीजीपी और शिक्षाविद अभयानंद की मानें तो समाज में धैर्य समाप्त हो जाना ऐसे गुस्से की मूल वजह है. ऐसी हरकत लाइफ स्टाइल में बदलाव की वजह से गुस्से के रूप में प्रकट होता है. समाजशास्त्री डॉ संजय कुमार की मानें तो ईगो क्लैश, ऐसे टकराव की मूल वजह है. अपनी सोच को दूसरे पर थोपने की प्रवृति भी ऐसे तकरारों का कारण बनती है. साथ ही उन्होंने ऐसे तरकारों के पीछे निजी स्वार्थ को भी कारण बताया है.