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बिहार विधान परिषद चुनावः RJD-कांग्रेस में बनेगी बात? राह कितनी मुश्किल, कितनी आसान - पटना लेटेस्ट न्यूज

तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीट पर विधानसभा उपचुनाव के दौरान बिगड़ी आरजेडी-कांग्रेस की बात क्या विधान परिषद चुनाव में ( RJD-Congress In Bihar Legislative Council Elections ) बन पाएगी? कांग्रेस को सीटों की साझेदारी पर अब भी उम्मीदें हैं, वहीं आरजेडी इसे लेकर तैयार नहीं है. रिपोर्ट में समझें अब ये राहें कितनी मुश्किल और कितना आसान है?

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Published : Jan 13, 2022, 9:51 PM IST

Updated : Jan 13, 2022, 10:02 PM IST

पटनाःबिहार विधान परिषद की स्थानीय निकाय की 24 सीटों पर होने वाले चुनाव (Bihar Legislative Council Elections) को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच तलवारें खिंच गई हैं. राजद कोई भी सीट आसानी से देने को तैयार नहीं है. तेजस्वी यादव ने तो कई सीटों पर प्रत्याशी भी तय कर दिए हैं, हालांकि लालू यादव से हरी झंडी का इंतजार है.

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इधर कांग्रेस को अब भी यह लग रहा है कि आलाकमान से बातचीत के बाद मामला सुलझ जाएगा. बहरहाल, तेजस्वी यादव फिलहाल दिल्ली में हैं. वहां लालू यादव से विचार-विमर्श के बाद पार्टी के उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लग सकती है. इन सब के बीच कांग्रेस की बेचैनी साफ नजर आ रही है.

बिहार विधान परिषद चुनाव में आरजेडी-कांग्रेस के बीच तकरार, बनेगी बात?

कॉन्ग्रेस को राष्ट्रीय जनता दल से यह उम्मीद है कि महागठबंधन की बैठक में सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत होगी और इसके लिए उन्हें अपने आलाकमान और लालू यादव के बीच बातचीत का भी इंतजार है. लिहाजा कांग्रेस नेता राजेश राठौड़ ने तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में हार की बात छेड़ दी.

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उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस और राजद एक साथ वह चुनाव लड़ी होती तो नतीजे कुछ और होते. क्योंकि जितने वोट कांग्रेस को मिले वही जीत हार का अंतर था. उन्होंने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू यादव ने उस उपचुनाव के बाद यह कहा था कि विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस के साथ छह सात सीटों पर समझौता होगा और हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे.

राजेश राठौड़ ने कहा कि हमें इंतजार है कि कब राजद और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच बातचीत में सीटों पर आखिरी फैसला होता है. राजेश राठौड़ ने यह भी कहा कि अगर राजद अपनी जिद पर कायम रहता है तो कांग्रेस भी अलग चुनाव लड़ने को तैयार है.


राष्ट्रीय जनता दल ने तो दो टूक कह दिया है कि स्थानीय निकाय के वोटर हमारे हैं. मेहनत हम कर रहे हैं तो प्रत्याशी किसी और पार्टी का कैसे हो सकता है. राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि कांग्रेस को पहले मैदान में अपनी जमीनी हकीकत देखनी चाहिए और संगठन को मजबूत करना चाहिए, तब टिकट की बात करनी चाहिए.

इधर, कांग्रेस को लेकर भाजपा ने भी कड़ा निशाना साधा है. भाजपा नेता अरविंद कुमार सिंह ने कहा बिहार में कांग्रेस की स्थिति पर ही सवाल उठा दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस बिहार में है कहां? वह तो क्षेत्रीय पार्टियों की पिछलग्गू बनकर रह गई है और इस बात को तेजस्वी यादव बखूबी समझते हैं. इसलिए कांग्रेस को इस चुनाव में कुछ हासिल नहीं होने वाला है.

महागठबंधन की सियासत को लेकर राजनीतिक विश्लेषक भी कुछ ऐसे ही संकेत दे रहे हैं. डॉ संजय कुमार ने कहा कि कांग्रेस अकेले चुनाव लड़कर अपना हश्र देख चुकी है. उपचुनाव में उन्हें महज कुछ हजार वोट ही मुश्किल मिल पाए जबकि उन्होंने पूरा अपना दमखम लगा दिया था. डॉ संजय कुमार ने कहा कि राजद समर्थित उम्मीदवारों ने पंचायत चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया है. इस बात का एहसास लालू और तेजस्वी को है और इसीलिए वे कांग्रेस को टिकट देकर अपनी स्थिति कमजोर नहीं करेंगे.

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आपको बता दें कि तेजस्वी यादव ने दिल्ली रवाना होने से पहले भोजपुर, औरंगाबाद, वैशाली और मुंगेर समेत 11 सीटों पर उम्मीदवार तय कर दिया है. इसमें पश्चिम चंपारण सीट भी शामिल है, जिस पर पिछली बार कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था और यही वजह है कि कांग्रेस की बेचैनी ज्यादा बढ़ गई है. ऐसे में अब देखना होगा कि राजद और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच विधान परिषद चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर किस हद तक बात बन पाती है.

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Last Updated : Jan 13, 2022, 10:02 PM IST

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