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Bihar Education: बिहार के स्कूल और कॉलेज गेस्ट टीचर्स के भरोसे, नियमित शिक्षकों का टोटा

बिहार में शिक्षकों की भारी कमी है. ऐसे में स्कूल और कॉलेजों में विद्यर्थियों की पढ़ाई अतिथि शिक्षकों (Guest Teachers) के भरोसे है. विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के 70 फीसदी से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. शिक्षकों की कमी अब सरकार के लिए नई मुसीबत बन गई है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

bihar education news
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Published : Jul 23, 2021, 10:58 PM IST

पटना: बिहार में बजट का सबसे ज्यादा 17 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च किया जाता है. वर्ष 2021-22 के बजट प्रावधानों पर नजर डालें तो सरकार ने उच्च शिक्षा (Higher Education) के लिए कई घोषणाएं की है. इन सबके बीच शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) के सामने एक नई चुनौती शिक्षकों की कमी (Shortage Of Teachers) है. प्रदेश में शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई का दारोमदार अतिथि शिक्षकों पर है. कॉलेज और स्कूलों में शिक्षकों की घोर कमी का असर अध्ययन-अध्यापन (Bihar Education) के कार्यों पर पड़ रहा है.

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पिछले साल बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने कुल 52 विषयों में 4638 असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था. इसकी नियुक्ति 15 जुलाई से शुरू हुई है. एक अंगिका विषय के इंटरव्यू के बाद रिजल्ट भी जारी कर दिया गया है लेकिन अगर सभी विषयों के लिए होने वाले इंटरव्यू की बात करें तो तो इसमें कम से कम 3 साल और लग सकते हैं.

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स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाने के लिए नियमित शिक्षक नहीं हैं. बस जैसे तैसे कोरम पूरा किया जा रहा है. शिक्षकों की कमी के कारण अध्ययन अध्यापन का काम अथिति शिक्षकों के भरोसे ही चल रहा है. लेकिन शोध से जुड़ी पढ़ाई पर इसका व्यापक असर पड़ता है. गेस्ट टीचर अब बिहार के ना सिर्फ सरकारी स्कूलों बल्कि विश्वविद्यालयों में जाना पहचाना नाम बन गए हैं. चाहे बिहार के हाईस्कूल हों या हायर सेकेंडरी स्कूल गेस्ट टीचर के भरोसे ही चल रहे हैं.

'बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 70 फीसदी से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. इनमें से ज्यादातर विश्वविद्यालय गेस्ट टीचर बहाल करके उनके जरिए पढ़ाई करवा रहे हैं. बिहार के विभिन्न पॉलिटेक्निक और अन्य कॉलेजों के लिए जो बहाली बीपीएससी के जरिए हो रही है इसमें भी अभी कई साल लगने के आसार हैं. बीपीएससी ने वर्ष 2014 के सितंबर महीने में 41 विषयों में कुल 3364 असिस्टेंट ऑफिसर के पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था, लेकिन 6 साल बीतने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग महज 29 विषयों के अंतिम परिणाम जारी कर पाया है.'- अंकुर ओझा, शिक्षाविद

एक अनुमान के मुताबिक बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 7000 से भी ज्यादा पद खाली पड़े हैं. ऐसे में बिहार के कॉलेजों में पढ़ाई सिर्फ गेस्ट टीचर्स के भरोसे हो रही है. इन गेस्ट टीचर्स को नियमित बहाली में बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग पर्याप्त वेटेज भी नहीं दे रहा है जिससे गेस्ट टीचर भी अपने भविष्य को लेकर सशंकित हैं.

देश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर रासबिहारी सिंह कहते हैं कि यह बड़ी विडंबना है कि गेस्ट टीचर असिस्टेंट टीचर/प्रोफेसर के मुकाबले काफी कम सैलरी पाते हैं. जबकि उन्हीं के भरोसे हाई स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाई हो रही है.

'सरकार को सिर्फ नियमित बहाली करनी चाहिए ताकि स्कूल-कॉलेजों का शैक्षणिक माहौल बेहतर हो सके और रिसर्च वर्क पर खास जोर दिया जा सके. तभी बिहार में उच्च शिक्षा की स्थिति बेहतर होगी. स्कूलों में 1000 रुपये प्रति क्लास और कॉलेजों में 50000 रुपए माह अधिकतम देकर सरकार यह मान लेती है कि उसका काम हो गया, लेकिन इस तरह से बिहार में शिक्षा का कभी भला नहीं होने वाला है.'- प्रोफेसर रास बिहारी सिंह, पूर्व कुलपति, पटना विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालयवार अतिथि शिक्षकों की कुल संख्या की बात करें तो पटना विश्वविद्यालय में 113 अतिथि शिक्षक हैं. पूर्णिया विश्वविद्यालय में 100, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में 381 अतिथि शिक्षक हैं. वहीं बाबा साहब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय 555 गेस्ट टीचर के भरोसे चल रहा है. जयप्रकाश विश्वविद्यालय में 150 अतिथि शिक्षक हैं तो भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में 176 जबकि कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय में 104 अतिथि शिक्षक हैं. वहीं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में 80 और तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में 185 अतिथि शिक्षक हैं.

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