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बिहार में अब आधे घंटे पहले ही मिलेगी वज्रपात की सूचना - Ministry of Earth Sciences

आईआईटीएम ने आकाशीय बिजली गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं से निपटने के लिए पिछले साल नवंबर में देश के विभिन्न हिस्सों में 48 सेंसर्स के साथ एक लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क स्थापित किया था. यह नेटवर्क बिजली गिरने और तूफान की दिशा की सटीक जानकारी देता है.

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Published : Aug 17, 2019, 11:28 PM IST

पटना: बिहार में बारिश के दौरान होने वाले वज्रपात या आकाशीय बिजली गिरने की वजह से लगातार बढ़ती मौतों पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार ने अब कमर कस ली है. अब सीधे तौर पर उन क्षेत्रों के जिलाधिकारियों, नगर पालिका अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को वज्रपात संबंधी सूचना आधा घंटा पहले एसएमएस के जरिए मिल जाएगी. इसके लिए वज्रपात पूर्व चेतावनी प्रणाली की स्थापना की जाएगी. आपदा प्रबंधन विभाग ने इस प्रणाली की स्थापना के लिए अर्थ नेटवर्क कंपनी से करार किया है.

आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने के अनुरोध के साथ आईएएनएस को बताया, 'नई प्रणाली की स्थापना के बाद वज्रपात की मिलने वाली सूचना प्रभावित होने वाले क्षेत्रों के लोगों तक मोबाइल एप या मोबाइल संदेश के माध्यम से पहुंचाई जाएगी. यह सूचना भेजने के लिए विभाग ने बेंगलुरू की एक कंपनी से करार किया है. हालांकि अभी तक संदेश भेजे जाने वाले मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर का चयन नहीं किया जा सका है.' आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि इससे राज्य में वज्रपात से होने वाली मौतों में कमी आएगी.

सैकड़ों लोगों की जा चुकी है जान
बता दें कि आज भी प्रदेश में वज्रपात से 3 लोगों की मौत हुई है. इस वर्ष वज्रपात की चपेट में आने से अब तक राज्य में 172 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इससे पहले वर्ष 2016 में वज्रपात से जहां 107 लोगों मौत हुई थी, वहीं 2017 में 180 और 2018 में 139 लोग आकाशीय बिजली की चपेट में आने से असमय काल के गाल में समा गए थे.

आईआईटीएम ने पिछले साल विकसित किया था 'दामिनी' एप
पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटिरियोलॉजी (आईआईटीएम) ने आकाशीय बिजली गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं से निपटने के लिए पिछले साल नवंबर में देश के विभिन्न हिस्सों में 48 सेंसर्स के साथ एक लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क स्थापित किया था. यह नेटवर्क बिजली गिरने और तूफान की दिशा की सटीक जानकारी देता है. आईआईटीएम पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है.

गूगल से डाउनलोड किया जा सकता है इस ऐप को
इस नेटवर्क के जरिए आईआईटीएम ने 'दामिनी' नामक एक एप विकसित किया है. यह एप 40 किलोमीटर के दायरे में बिजली गिरने के संभावित स्थानों और तूफान के बढ़ने की दिशा की चेतावनी देता है. दामिनी एप को गूगल प्ले स्टोर से मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है.

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