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बिहार को फिसड्डी बताने वाले 'नीति आयोग की रैंकिंग' पर सरकार ने जताई आपत्ति, भेजा मेमोरेंडम

नीति आयोग द्वारा जारी एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 में बिहार को निचले पायदान पर रखा गया था. जून में आई इस रिपोर्ट पर 3 महीने बाद बिहार सरकार ने आपत्ति जताई है. बिहार सरकार ने नीति आयोग को कुछ सुझाव भी दिए हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

Bihar government objected to NITI Aayog ranking
Bihar government objected to NITI Aayog ranking

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Published : Sep 27, 2021, 5:45 PM IST

पटना: नीति आयोग ने जून 2021 में एसडीजी इंडिया इंडेक्स (SDG India Index 2020-21) जारी किया था, जिसमें बिहार को निचले पायदान पर जगह दी गई थी. बिहार सरकार (Bihar Government) ने अब 3 महीने बाद इस रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है. योजना विकास मंत्री विजेंद्र यादव (Vijender Yadav) ने कहा कि नीति आयोग (Niti Aayog Report) ने जिस रिपोर्ट के आधार पर रैंकिंग की है वह सही नहीं है.

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मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा कि बिहार ने जिन क्षेत्रों में विकास किया है, उसको रिपोर्ट में जगह नहीं दी गई है और इसलिए बिहार का प्रदर्शन नीति आयोग की रिपोर्ट में बेहतर नहीं है. हम लोगों ने इसी को लेकर आपत्ति जताई है और एक मेमोरेंडम भेजा है, जिसमें कई सुझाव दिए गए हैं.

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"बिहार में जब गाड़ियों की बिक्री बढ़ रही है, पुल बन रहे हैं, सड़क का निर्माण हो रहा है तो गरीबी कैसे नहीं घट रही है. ये सारे विरोधाभासी आंकड़े हैं. नीति आयोग की रिपोर्ट गड़बड़ है. नीति आयोग के पास सभी राज्यों के सही आंकड़े नहीं होते, और न वे आंकड़े कलेक्ट करते हैं."-विजेंद्र यादव, योजना एवं विकास विभाग मंत्री

नीति आयोग 33% कुल क्षेत्रफल के वृक्षारोपण होने की बात करता है. बिहार जैसे राज्य में यह संभव ही नहीं है, जबकि झारखंड से अलग होने के बाद बिहार में लगातार वृक्षारोपण का कार्य बड़े स्तर पर हो रहा है. गरीबी के आंकड़े 2011-12 के लिए गए हैं, जिनके आधार पर राज्यों की रैंकिंग की गई है. जो वर्तमान स्थिति की वास्तविकता से बहुत दूर है.

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मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा कि एटीएम को लेकर बिहार को रैंकिंग में जीरो नंबर दिया गया है. एटीएम लगाना बिहार सरकार के जिम्मे नहीं है. सात निश्चय योजना बिजली, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्र और कई ऐसे अन्य क्षेत्र हैं, जिसमें बिहार ने बेहतर परफॉर्मेंस किया है. लेकिन रिपोर्ट में उसे जगह नहीं दी गई है. मंत्री ने कहा कि नीति आयोग को जो रिपोर्ट मांगनी चाहिए थी उसे मांगा नहीं गया. पहले प्लानिंग कमीशन था तो उसके पास टीम थी, एक्सपर्ट्स थे. लेकिन नीति आयोग को अभी सही तरीके से स्थापित होने में समय लगेगा.

वहीं विकास आयुक्त और योजना विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने भी कहा कि यदि नीति आयोग हमसे बिहार ने जिन क्षेत्रों में विकास किया है, वह रिपोर्ट मांगता तो हम जरूर भेजते.

"यह तो नीति आयोग ही तय करता है कि उसे कौन से रिपोर्ट को शामिल करना है और कौन से रिपोर्ट को नहीं. लेकिन यह बिहार के साथ ठीक नहीं है और इसीलिए हम लोगों ने मेमोरेंडम भेजा है."-आमिर सुबहानी, विकास आयुक्त

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बिहार सरकार ने नीति आयोग को कई सुझाव भी भेजे हैं. जिसमें सूचकांकों का चयन और उनके लक्ष्यों का निर्धारण राज्यों की सहमति से हो, केंद्र सरकार पिछड़े लेकिन तेजी से विकासशील राज्यों के लिए विशेष सहायता उपलब्ध कराए जैसे सुझावों को शामिल किया गया है. साथ ही कहा गया है कि नीति आयोग को सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए लघु, मध्यम और दीर्घकालीन रणनीति बनानी चाहिए.

नीति आयोग की रिपोर्ट जून में ही प्रकाशित हुई थी. सरकार को आपत्ति दर्ज करने में 3 महीने से भी ज्यादा समय लग गया. इस पर विजेंद्र यादव ने कहा कि आंकड़े इकट्ठा करने में समय लगा है. कोरोना भी एक बड़ा कारण रहा. अब बिहार सरकार की आपत्ति और मेमोरेंडम पर देखना है नीति आयोग का क्या रूप होता है.

गौरतलब है कि बिहार को एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2020-21 में 52 अंक मिला है. बिहार सबसे निचले पायदान पर है. बिहार से ऊपर अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, असम, उड़ीसा और झारखंड जैसे राज्य हैं. इसको लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. अब सरकार ने नीति आयोग की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज की है.

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