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सरकार का दावा 5.5 लाख टन धान की हुई खरीद, पूर्व मंत्री श्याम रजक ने उठाया सवाल - खाद्य उपभोक्ता संरक्षण विभाग

खाद्य उपभोक्ता विभाग के सचिव विनय कुमार ने कहा कि इस साल 45 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य है. दिसंबर तक 5.5 लाख टन धान की खरीद हुई है. इसपर श्याम रजक ने कहा कि बिहार के सिर्फ 6 फीसदी किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिलता है. पैक्सों का पिछला बकाया अब तक सरकार ने नहीं चुकाया है. किसानों को मजबूरी में औने-पौने दाम में धान बेचना पड़ रहा है.

Shyam rajak and vinay kumar
श्याम रजक और विनय कुमार

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Published : Dec 30, 2020, 9:57 PM IST

पटना: बिहार में इस बार 45 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य है. राज्य सरकार का दावा है कि लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार आक्रामक रूप से धान की खरीद कर रही है. अब तक 5.5 लाख टन से ज्यादा धान खरीद हो चुकी है. हालांकि सरकार के इस दावे पर खाद्य उपभोक्ता संरक्षण विभाग के पूर्व मंत्री श्याम रजक ने सवाल खड़ा किया है.

बिहार के खाद्य उपभोक्ता विभाग के सचिव विनय कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि बिहार में इस बार धान का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. अमूमन 90-95 लाख टन प्रति वर्ष की तुलना में इस बार 115 लाख टन धान उत्पादन बिहार में हुआ. केंद्र सरकार ने बिहार में इस बार धान खरीद का लक्ष्य 45 लाख टन तय किया है.

विनय कुमार ने बताया कि बिहार सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि ज्यादा से ज्यादा धान खरीद का लक्ष्य 31 मार्च तक पूरा हो सके. सरकार किसानों से धान खरीद रही है. कई तरीके की सुविधाएं भी किसानों को उपलब्ध कराई गई हैं. 23 नवंबर से धान खरीद शुरू हुई और दिसंबर के आखिर तक 5.5 लाख टन से ज्यादा धान की खरीद हो चुकी है. ये आंकड़े काफी उत्साहजनक हैं. सरकारी गोदाम की परेशानी जरूर है. जरूरत पड़ने पर सरकार प्राइवेट गोदाम भी ले सकती है.

धान खरीद की प्रक्रिया आसान की गई
"सरकार ने इस बार धान खरीद की प्रक्रिया काफी आसान की है. किसानों से कम से कम जानकारी लेकर उन्हें यह सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है कि वह जब और जहां चाहें धान बेच सकते हैं. किसानों को ज्यादा से ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिले इसके लिए भी सरकार कोशिश कर रही है."- विनय कुमार, सचिव, खाद्य उपभोक्ता विभाग

सरकार के इन दावों पर राजद नेता और बिहार के पूर्व खाद्य उपभोक्ता मंत्री श्याम रजक सवाल खड़े कर रहे हैं. पूर्व मंत्री ने कहा कि सरकार के दावे कितने सही हैं यह तो ग्राउंड पर ही पता चल जाता है. महज 6 फीसदी किसानों को ही बिहार में एमएसपी का लाभ मिलता है.

"पैक्सों का पिछला बकाया अब तक सरकार ने नहीं चुकाया है. किसानों को मजबूरी में औने-पौने दाम में अब भी धान बेचना पड़ रहा है."- श्याम रजक, राजद नेता

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