पटना: 'रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. यह समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है. उन्हें उनका हक दिलाने से रोकता है. मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया. फिर उसके बाद रामचरितमानस ने समाज में नफरत पैदा की. और आज के समय गुरु गोलवलकर की विचार समाज में नफरत फैला रही है. मनुस्मृति को बाबा साहब अंबेडकर ने इसलिए जलाया क्योंकि वह दलितों और वंचितों के हक छीनने की बातें करती है.' बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर (Education Minister Professor Chandrashekhar) के इसबयान पर बवाल मचा है.
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बीजेपी का बिहार के शिक्षा मंत्री पर हमला:बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्वीट कर लिखा- ''बिहार के शिक्षा मंत्री ने कहा रामचरितमानस नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. कुछ दिन पहले जगदानंद सिंह ने राम जन्मभूमि को नफरत की जमीन बताया था. यह संयोग नहीं है. यह वोट बैंक का उद्योग है, हिंदू आस्था पर चोट करो ताकि मिले वो, सिमी और पीएफआई की पैरवी, हिंदू आस्था पर चोट. क्या कार्रवाई होगी?”
कवि कुमार विश्वास ने ट्वीट कर लिखा-वहीं कुमार विश्वास ने कहा है कि''आदरणीय नीतीश जी, भगवान शंकर के नाम को निरर्थक कर रहे आपके अशिक्षित शिक्षा मंत्री जी को शिक्षा की अत्यंत आवश्यकता है. आपका मेरे मन में अतीव है इसलिए इस दुष्कर कार्य के लिए स्वयं को प्रस्तुत कर रहा हूं. इन्हें अपने अपने राम सत्र में भेजें ताकि इनका मनस्ताप शांत हो.''
बिहार के शिक्षा मंत्री पर भड़के संत : बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान के बाद अयोध्या के संत जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री ने जिस तरह से रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया है, उससे पूरा देश आहत है, यह सभी सनातनियों का अपमान है और मैं इस बयान पर कानूनी कार्रवाई की मांग करता हूं कि उन्हें एक सप्ताह के भीतर मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया जाए.