पटना : बिहार के शिक्षा विभाग के लिए 2023 उपलब्धियों और विवादों से भरा रहा. प्रथम चरण के शिक्षक बहाली के तहत रिकॉर्ड 1.70 लाख पदों पर शिक्षकों की वैकेंसी आई. राज्य स्तर पर देश में अब तक की यह सबसे बड़ी वैकेंसी थी. वैकेंसी निकलते ही परीक्षा आयोजित की गई और उत्तीर्ण हुए 1.20 लाख शिक्षक अभ्यर्थियों को एक साथ गांधी मैदान में 2 नवंबर को नियुक्ति पत्र दिया गया. एक साथ इतने बड़े पैमाने पर नियुक्ति पत्र देने का यह अपने आप में एक रिकॉर्ड बना.
साल की शुरुआत विभाग के लिए विरोध प्रदर्शन से हुई : साल के शुरुआती 6 महीने शिक्षकों के रिक्त पर पदों पर बहाली की मांग को लेकर आंदोलन में बीते. सातवें चरण की शिक्षक बहाली की मांग को लेकर शिक्षक अभ्यर्थियों ने आंदोलन किया. वहीं नियोजित शिक्षकों ने 11 जुलाई को पटना के गर्दनीबाग में लाखों की तादाद में जुट कर प्रदर्शन किया और राज्य कर्मी के दर्जा की मांग की. इसके बाद इन प्रदर्शन में शामिल शिक्षकों को चिह्नित करके विभाग ने विभागीय कार्रवाई करनी शुरू कर दी. हजारों शिक्षक सस्पेंड हुए और आंदोलन कमजोर पर गया.
आधा साल कटने के बाद शुरू हुई बहाली : इसके बाद शिक्षा विभाग ने 1.70 लाख पदों पर वैकेंसी निकाली. 24 से 26 अगस्त तक परीक्षा का आयोजन किया गया और सितंबर में रिजल्ट प्रकाशित कर 1.20 लाख शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देते हुए संबंधित विद्यालयों में योगदान भी करा लिया गया. बीपीएससी ने परीक्षा का आयोजन कराया और पारदर्शी तरीके से संपन्न हुई परीक्षा में अधिक विवाद नहीं हुए, जो शिक्षा विभाग के लिए उपलब्धि रही.
साल के अंत तक दो चरणों की बहाली संपन्न : अभी पहले चरण के शिक्षक बहाली के अभ्यर्थी विद्यालयों में नियुक्ति के लिए इंतजार ही कर रहे थे. तभी शिक्षा विभाग ने दूसरे चरण की शिक्षक बहाली परीक्षा की घोषणा कर दी. दूसरे चरण में प्रथम चरण के रिक्त पदों को भी जोड़ा गया और 1.22 लाख पदों पर वैकेंसी निकली. 7 दिसंबर से 15 दिसंबर तक बीपीएससी के माध्यम से परीक्षा का आयोजन शुरू हुआ और विषय वार तरीके से आयोग ने 22 दिसंबर से रिजल्ट प्रकाशित भी करना शुरू कर दिया.
उपलब्धि के साथ मुश्किलें भी आई सामने : 26 दिसंबर से उत्तीर्ण हुए शिक्षकों की शिक्षा विभाग की ओर से काउंसलिंग शुरू होगी और महीने भर के भीतर यह शिक्षक विद्यालय में योगदान करेंगे. ऐसे में इस वर्ष शिक्षा विभाग का यह कदम क्रांतिकारी साबित हुआ और विद्यालयों में शिक्षक छात्र अनुपात में सुधार हुआ. शिक्षा विभाग के लिए ऐसी कुछ उपलब्धियां रही तो कुछ ऐसे भी निर्णय लिए गए जिससे युवाओं को परेशानी हुई.
बहाली के साथ ही विवाद का दौर भी हुआ शुरू : पहले चरण के शिक्षक बहाली की प्रक्रिया अभी पूरी भी नहीं हुई थी की परीक्षा के कुछ दिनों पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ गया कि बीएड योग्यता धारी अभ्यर्थी प्राइमरी में शिक्षक नहीं बनेंगे. ऐसे में फॉर्म भर चुके अभ्यर्थी परीक्षा में तो शामिल हुए लेकिन लगभग 3.90 लाख ऐसे अभ्यर्थियों का रिजल्ट प्रकाशित नहीं किया गया. अभ्यर्थियों को एक तरफ परेशानी हुई वहीं दूसरी ओर वैकेंसी के अनुरूप विभाग को शिक्षक नहीं मिले.
शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए आई मुसिबतें : दूसरे चरण की शिक्षक बहाली प्रक्रिया जब शुरू हुई तो इसी बीच सुप्रीम कोर्ट का एक और आदेश आ गया कि 18 महीने का डीएलएड कोर्स करने वाले अभ्यर्थी शिक्षक नहीं बन सकते हैं. ऐसे में यह अभ्यर्थी परेशान है. इसी बीच पटना हाई कोर्ट का एक ऐसा फैसला आ गया जिसे छठे चरण में बहाल हुए काफी शिक्षकों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बीएड योग्यता धारी जो छठे चरण में शिक्षक बने हैं, वह शिक्षक के लिए योग्य नहीं है. सरकार इनसे त्यागपत्र लेते हुए रिक्त हो रहे पदों को अविलंब भरे. हालांकि शिक्षा विभाग के प्रमुख मुख्य सचिव के के पाठक ने ऐसे 22000 शिक्षकों को अस्वस्थ किया है कि सरकार उनके पक्ष से लड़ाई लड़ेगी और सुप्रीम कोर्ट में बातों को रख रही है.
विवाद का कारण बने विभाग के कई आदेश : इस साल शिक्षा विभाग ने कई ऐसे आदेश जारी किए जो सुर्खियों का कारण बने. स्कूलों में वर्षों से पड़े हुए कबाड़ को बेचकर उसका पैसा शिक्षा विभाग के खाते में डलवाने के लिए प्रधानाचार्य को निर्देशित किया. इसका काफी विरोध हुआ, इसी बीच मिड डे मील योजना में इस्तेमाल होने वाले जूट के बोरों को बेचने का भी निर्देश जारी किया गया और प्रति बोरा रेट भी तय किया गया. शिक्षकों ने इसका विरोध शुरू किया.