पटनाः बिहार में एनडीए की सरकार में डबल इंजन (Bihar Double Engine Government) के सहारे तेज रफ्तार के साथ विकास का दावा किया गया था, नीति आयोग की रिपोर्ट ने बिहार के हाल-ए-सूरत को आईना दिखा दिया. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक (CAG Report Bihar) बिहार में 2 लाख करोड़ रुपये के खर्च के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.
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ऐसे में विपक्ष के दावे कहीं ना कहीं इस बात की आशंका पैदा कर रहे हैं कि क्या बिहार में सचमुच डबल नहीं बल्कि ट्रबल इंजन की सरकार है. पिछले साल जब बिहार में बीजेपी और जदयू ने हम और वीआईपी के साथ मिलकर सरकार बनाई तो यह दावा किया गया था कि डबल इंजन की सरकार तेजी से विकास कार्य करेगी, लेकिन पिछले एक साल में कई बार ऐसे मौके आए हैं, जब बीजेपी और जदयू के साथ साथ वीआईपी और हम ने भी गठबंधन में एक दूसरे को आंख दिखाई. इन सब के बीच दो मुख्य दल भाजपा और जदयू के बीच भी 36 का आंकड़ा रहा.
मुद्दों की बात करें तो जातीय जनगणना सबसे ताजातरीन मुद्दा है जिस पर भाजपा और जदयू एकमत नहीं हैं. एक तरफ तेजस्वी समेत विपक्ष के कई दलों ने जदयू के साथ मिलकर जातीय जनगणना की मांग उठाई है. दूसरी तरफ बीजेपी इस मुद्दे से किनारा करना चाहती है. इसके अलावा राम मंदिर मुद्दा, सीएए और एनआरसी के अलावा आर्टिकल 370 पर भी जदयू की राय बीजेपी से अलग रही है.
विपक्ष का दावा है कि दोनों दल के बीच कुछ भी ठीक नहीं और यह डबल नहीं बल्कि ट्रबल इंजन (Differences in BJP JDU in Bihar) है जो बिहार को बर्बादी के रास्ते पर ले जा रहा है. इस बात की पुष्टि नीति आयोग की रिपोर्ट ने भी की है जिसमें बिहार को अन्य राज्यों की तुलना में विकास के कई पैमानों पर पिछड़े राज्यों में शुमार किया गया है.
इन सब के बीच पूर्व विधायक और राजद के प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि पिछले 15 साल में दो लाख करोड़ रुपए कहां गए इसका जवाब सीएजी को अब तक बिहार सरकार नहीं दे पाई है. इधर नीति आयोग भी बिहार को हर मायने में फिसड्डी घोषित कर चुका है. शक्ति सिंह यादव ने कहा कि बिहार में ही ऐसा अनूठा काम होता है, जहां बीजेपी और जदयू की सरकार पिछले 15 साल से है और इस सरकार में चूहे बांध कुतर देते हैं और शराब भी गटक जाते हैं.