पटना :भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद (BJP spokesperson Nikhil Anand) ने चुटकी लेते हुए कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के लिए सबसे दुविधा का सवाल तो यह है कि जब जेडीयू और आरजेडी का विलय हो जाएगा तो क्या वह तेजस्वी यादव की पालकी ढोने का काम करेंगे? उपेंद्र कुशवाहा को जेडीयू में कसम खाकर निष्ठा साबित करना पड़ रहा. निखिल आनंद ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा को संक्रमण स्थिति में चौराहे पर खड़ा होकर दुविधाग्रस्त बने रहने की बजाए अपने गिरेबान में झांककर अपने समर्थकों-शुभचिंतकों व प्रशंसकों की सलाह से अपना वजूद तलाशना चाहिए.
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जीने मरने की कसमें क्यों खा रहे हैं :निखिल आनंद ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा की निष्ठा समाजवादी विचारधारा के प्रति होनी चाहिए ना की किसी खास व्यक्ति या एक पॉकेट के राजनीतिक संगठन के प्रति होनी चाहिए. राजनीति वैसे भी संभावनाओं का खेल है. यू-टर्न के लिए देश- दुनिया में मशहूर नीतीश जी की निष्ठा ही पेंडुलम की तरह बदलती रहती है तो उपेंद्र कुशवाहा उनके नाम पर जीने मरने की कसमें क्यों खा रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा जी को दबाव में इमोशनल ना होते हुए अंतरात्मा की आवाज पर अपनी राजनीति की दिशा और निष्ठा तय करनी चाहिए.
कुशवाहा को शिक्षा राज्यमंत्री के दिन जरूर याद आते होंगे :निखिल आनंद ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा जी को नीतीश कुमार जी ने जिस तरीके से उनके 20-25 लोगों के साथ जेडीयू में शामिल कराकर साजिशन रालोसपा को खत्म करा दिया. उनके लाखों समर्थक-शुभचिंतक आज भी इस फैसले से आहत महसूस कर रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा जी को रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नरेंद्र मोदी की सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री के वो दिन जरूर याद आते होंगे जब वह अपने राजनीतिक जीवन के सबसे बेहतर स्थिति में थे.
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