पटना: बिहार में महागठबंधन से दो-दो हाथ के लिए बीजेपी हर मोर्चे पर तैयारी कर रही है. देश लोकसभा चुनाव 2024 से पूर्व पार्टी ने बिहार के अंदर तमाम जिला अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है. जिला अध्यक्षों की नियुक्ति से पार्टी में अपने इरादे भी जाहिर कर दिए हैं. महागठबंधन को चुनौती देने के लिए पार्टी ने नई नीतियों को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है.
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बिहार भाजपा के सामने चुनौतियां: पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 36 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है. अमित शाह और जेपी नड्डा के कंधों पर बिहार फतेह की जिम्मेदारी है. प्रदेश इकाई के समक्ष भी चुनौती बड़ी थी और 45 जिलों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की जानी थी. आखिरकार प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने तमाम जिला अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी जिला अध्यक्षों की सूची में पार्टी की रणनीति को भी उजागर कर दिया.
बिहार में बीजेपी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति: भारतीय जनता पार्टी के संगठनात्मक दृष्टिकोण से बिहार में कुल 45 जिले हैं. 45 जिलों के लिए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी गई है. जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के दौरान जातिगत समीकरण का भी ख्याल रखा गया है. 17 जिला अध्यक्ष रिपीट किए गए हैं, तो 28 नए चेहरे को मौका दिया गया है. जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में युवाओं को तवज्जो दी गई है.
हर जाति का रखा गया ख्याल: बिहार में सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों के लिए पिछड़ा अति पिछड़ा हो महत्वपूर्ण है. लगभग 45% वोट शेयर पिछड़ा अति पिछड़ा का है. भारतीय जनता पार्टी ने भी पिछड़ा अति पिछड़ा वोट बैंक के महत्व को समझा है. जो सूची पार्टी के द्वारा जारी की गई है इसके मुताबिक ब्राह्मण जाति से 8, भूमिहार जाति से 7, राजपूत जाति से 4 और कायस्थ जाति से दो को जिला अध्यक्ष की सूची में जगह दी गई है. इसके अलावा दो दलित समुदाय से हैं. तकरीबन 22 जिलों में पिछड़ों अति पिछड़ों को जगह दी गई है.
बीजेपी परफॉर्मेंस के आधार पर करती है नियुक्ति: भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि हम जाति को देखकर नियुक्ति नहीं करते. पार्टी में परफॉर्मेंस के आधार पर कार्यकर्ताओं को तवज्जो दी जाती है. प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने युवाओं को महत्व दिया है और हर जाति और वर्ग से नेताओं को जिला अध्यक्ष की सूची में जगह दी गई है.